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अब पछताए होत क्या जब : Ab Pachtaye Hot Kya Jab

अब पछताए होत क्या जब
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आजकल के युग में सब नये – नये होते आविष्कारों के कारण भौतिकता में उलझ कर रह गये हैं । इस भागमभाग में हमने स्वास्थ्य को गौण कर दिया है । रिश्ते नातों को हटाकर सभी रुपये पैसे में उलझकर आत्मकेंद्रित हो गये हैं ।

जिन चीजों का सदुपयोग होना चाहिए उनका दुरुपयोग ज्यादा हो रहा है ।हमें सावधान होने की बहुत जरुरत है | इसलिये कहते है कि जीवन में सिर्फ़ पैसों के पीछे मत भागो।ईमान खोया, मान खोया, खोई शान्ति और स्वास्थ्य ।

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स्वास्थ्य है तभी पैसे का महत्व है। पैसा धन नहीं है असली धन तो स्वास्थ्य है । मानव जीवन ईश्वर की सबसे बड़ी सौग़ात है और इस जीवन की रक्षा में स्वास्थ्य का बहुत बड़ा हाथ है । स्वास्थ्य स्वस्थ तभी रहेगा जब ज़िंदगी मस्त रहेगी ।

इसके लिए हमें सेहत पर ध्यान देना होगा ,समय के अभाव का बिगुल गान बंद करना होगा। यदि तंदुरुस्ती का ख्याल नहीं रखा जायेगा तो फिर स्वयं हमारा शरीर इसका हाल अपने हिसाब से बतायेगा ।

हमे स्वास्थ्य को समय देना ही होगा अन्यथा शरीर स्वयं वक्त ले लेगा व पीड़ा,व्यथा और खर्चे का तोहफ़ा भी साथ में निःशुल्क देगा । इस तथ्य पर दृष्टिपात करना अति आवश्यक हैं क्योंकि HEALTH IS WEALTH हैं ।

यही सच्चा साथी है, शारीरिक मानसिक सुखी जीवन जीने की यही सही से प्रकशमय बाती है , अन्यथा हमें पछताना पड़ेगा इसमें कोई भी शक नहीं हैं और आगे हम पर भी यह कहावत सटीक नहीं बैठ जाये कि अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत।

प्रदीप छाजेड़
( बोरावड़ )

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