आत्मसम्मान का भाव : Atmasamman ka Bhav

आत्मसम्मान का भाव : Atmasamman ka Bhav

कहते है की जब तक जब तक जीएँ आत्मसम्मान के साथ जीएँ।क्या बिना आत्मसम्मान के जीना भी कोई सार्थक जीने की बात है। इससे ज़्यादा महत्वपूर्ण बात यह है कि कोई क्या बोले करे कहे मुझे क्या मानता है आदि इससे अधिक कि मुझे कौन खुद से बेहतर जान सकता है। हमारे भव-भवान्तर से अर्जित…

मकर संक्रान्ति : Makar Sankranti

मकर संक्रान्ति : Makar Sankranti

मकर संक्रान्ति का पर्व मंगलकारी हैं । आत्म रमण की सुखद सवारी है ।॥ध्रुव ॥ १)शान्त तरंगें बन मन की स्वस्थ भावना बनाती हैं । सोई सम्भावना को क्षण – क्षण मैं जागृत बनाती हैं । २)चिन्तन वाणी – मिठास में उतर – उतर कर आती है । सारा कृतिम तंत्र सहज बन जाता हैं…

छोटी-छोटी बातें : Choti-Choti Baatein

छोटी-छोटी बातें : Choti-Choti Baatein

बात तो है कुछ छोटी-छोटी लेकिन उन बातों का सार सागर की तरह है और उनके सामने लम्बी-चौड़ी बातें निस्सार हैं । उस व्यक्ति की उम्र का कोई महत्व नहीं है जो वर्षो को आंकड़े की तरह जीता है । आंकड़ा चाहे कुछ भी हो, असली उम्र है मन में ऊर्जा और उतसाह कितना है।…

आज की हकीकत : Aaj ki Haqeeqat ​

आज की हकीकत : Aaj ki Haqeeqat ​

आज के समय में मानव की हालत यह हो गई हैं की उसे फुर्सत ही नहीं है । इतनी मानव को व्यस्तता है कि उसे अपने आप से मिलने की भी फुर्सत नहीं है । मानव की ख्वाहिश है इतनी कि वो दूर बैठे भगवान से मिलने की मन में रखता है । हम अपने…

भय : Bhay

भय : Bhay

मैंने मेरे जीवन में देखा अनुभव किया है कि मानव गलत करता है या और कोई अपने कृत कर्मों आदि के कारण से भय करता है । कहते है जो सही है उनको भय नहीं होता है । दिवंगत शासन श्री मुनि श्री पृथ्वीराज जी स्वामी ( श्री ड़ुंगरगढ़ ) मुझे कितनी बार बोलते की…

स्वस्थ चिन्तन : Swasthya Chintan

स्वस्थ चिन्तन : Swasthya Chintan

संसार विविधताओं का संगम है और धर्म जीवन की शाश्वत अपेक्षा है । जोश और होश हमेशा जीवन में रहे और दिमाग़ की खिड़कियाँ खुली रहे । पर आज की आबो हवा में डर लगता है । मस्तिष्क को भी जब आप नकारात्मक चिन्तन करते हैं। एक सुखद जीवन के लिए मस्तिष्क में सत्यता, होठों…

ज्वर : Javar

ज्वर : Javar

कहते है की जिसने जीवन में सत्य को स्वीकार किया , आर्त्त रोद्र ध्यान का परिहार्य किया ,धर्म ध्यान को स्वीकार्य किया , हर कार्य ज्ञाता द्रष्टा बन किया , समता भाव सदा धार्य उसके रहता उसे कभी भी दुःख नहीं सताता और उन्माद ज्वर भी नहीं आता हैं । आज कथनी- करनी में सामंजस्य…

जीवन : Jeevan

जीवन : Jeevan

इस जीवन में ज़िंदगी जीने के अलावा भी बहुत कुछ है । यों ही जीवन जीने के अलावा भी इसमें बहुत कुछ होना चाहिए ।जीवन का कोई ऊँचा हेतु लक्ष्य होना चाहिए । जीवन का हेतु इस प्रश्न के सही जवाब तक पहुँचना है कि मैं कौन हूँ ? यह प्रश्न कितने ही जन्मों से…

बात तो भावना की है : Baat to Bhavna ki Hai

बात तो भावना की है : Baat to Bhavna ki Hai

कहते है शब्दों की तुलना में उसमें निहित बात की भावना की क़ीमत ज्यादा है । कभी – कभी मैंने अपने जीवन में तथा अन्य जगह देखा है की शब्द बोले नहीं जाते लेकिन शब्दों के पीछे के भाव एक दो शब्द में ही आ जाते है । कुछ समय पूर्व सन्तों के द्वारा कहा…