आपके द्वारा की गई उपेक्षा किसी के जीवन को विषादग्रस्त बना देती है इसलिए दूसरों की उपेक्षा करने से सदैव बचना चाहिए।
दूसरों के लिये जीना का हुनर सीखना चाहिए, और दूसरे भी आपके लिये जीने लग जायेंगे। वृक्ष भी फल तब ही दे पाते हैं जब आप उनकी अच्छे से परवरिश करते हैं।
जिस दिन आपके मन में उनके लिए उपेक्षा का भाव आ जायेगा तो वो भी आपको अपनी शीतल छाया और मधुर फलों से वंचित कर देंगें।
दूसरों की उपेक्षा करने की अपेक्षा दूसरों का सहयोग करना हमें अधिक मानवीय बनाता है। जब तक आपका जीवन परोपकार और परमार्थ में संलग्न रहेगा तब तक आपकी प्रतिष्ठा और उपयोगिता दोनों बनी रहेगी।
परमार्थ ही प्रतिष्ठा को जन्म देता है। आप दूसरों के लिए अच्छा सोचो, आप दूसरों के लिए जीना सीखा लाखों होंठ प्रतिदिन आपके लिए प्रार्थना करने को आतुर रहेंगे।
बीएल भूरा
भाबरा जिला अलीराजपुर मध्यप्रदेश
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