दो बातें हैं तो बहुत छोटी-छोटी पर बहुत गंभीर अर्थ लिए हैं जैसे – दोस्ती । दोस्ती के लिए सच कहा हैं कि कल्पना नहीं थी कि दूध-पानी में ऐसी मित्रता होगी जैसे दोस्ती में इतनी नम्रता होगी ।
अब स्वर्ग के सपने हम क्यूं इतने देखें क्योंकि जहाँ एक-दूसरे के प्रति सही से समर्पित जैसे मेरे मित्र होंगे वहीं मेरी जन्नत होगी। कहते हैं-मैत्री का सम्बन्ध सदा अंतर आलोकित दर्पण से है ।
मन का सामंजस्य ये देव का वरदान है । नमन है उनको जो मित्रता का मान रखते है । क्योंकि जब मनों से दो हस्ती मिलती हैं तब जिगरी दोस्ती होती है । इसीलिए यह बहुत कीमती चीज नहीं है बिल्कुल सस्ती हैं ।
दूसरी बात समाज को आगे बढ़ाने के लिए क्या चिंतन हो तो किसी गंभीर चिंतक विद्वान ने कहा कि एक दूसरे की टाँग खींचने की बजाय, एक दूसरे का हाथ खींचना चाहिए ताकि समाज शिखर चढ़े।
उपकार अर्थात दूसरों के हित के लिए किया गया कार्य ही परोपकार कहलाता है। मनुष्य वही है जो दूसरों के लिए काम आए। अपने लिए तो सभी जीते हैं लेकिन जीवन उसका सफल है जो दूसरों की भलाई करे ।
संसार में परोपकार ही व गुण है जिससे मनुष्य में अथवा जीवन में सुख की अनुभूति होती है। समाज सेवा की भावना , सहायता करने की भावना आदि यह सब कार्य व्यक्तियों के व्यक्तित्व की निशानी है।
परोपकार का सबसे बड़ा लाभ है आत्म संतुष्टि, आत्मा को शांति मिलना कि मैंने दूसरों के हित के लिए यह काम किया है।क्योंकि परोपकार निस्वार्थ भाव से किया जाता है किंतु इसके बदले में परोपकारी प्राणी को वो संपत्ति प्राप्त हो जाती है जो लाखों रुपए देकर भी नहीं खरीदी जा सकती वह संपत्ति है मन का सुख।
परोपकार का अर्थ होता है दूसरों का अच्छा करना। परोपकार का अर्थ होता है दूसरों की सहायता करना। परोपकार की भावना मानव को इंसान से फरिश्ता बना देती है। परोपकार के समान कोई धर्म परोपकार का ऐसा कृत्य है जिसके द्वारा शत्रु भी मित्र बन जाता है। हमारे जीवन में परोपकार का बहुत महत्व है।
प्रदीप छाजेड़
( बोरावड़)
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