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आईटी ग्रेजुएट किसान

यह IT graduate किसान हल्दी और अदरक की खेती करके करोडो कमाता है

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यह IT graduate किसान हल्दी और अदरक की खेती करके करोडो कमाता है । बहुत सारे लोग अपनी जिंदगी में यह सोचने में परेशान रहते हैं की उन्हें जिंदगी में क्या करना है। अक्सर बहुत सारे लोग आपको जिंदगी में क्या करना है इस बात को लेकर असमंजस की स्थिति में मिल जाएंगे, लेकिन कुछ लोग ऐसे होते हैं जो अपना रास्ता चुन कर अपने संकल्प को पूरा करते हैं। कुछ ऐसे ही कहानी है गुजरात के रहने वाले देवेश पटेल की।

Devesh patel गुजरात के आनंद जिले के एक गांव के रहने वाले हैं। शुरुआत में ही उन्हें इस बात का विश्वास हो गया था कि वह खेती के लिए ही बने हैं। उनका कहना है कि खेती उनका जुनून है। लेकिन इसके बावजूद उन्होंने डिग्री हासिल की क्योंकि उनके परिवार वालों का मानना था कि किसी तरह की डिग्री होना जरूरी है।

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Devesh patel साल 2005 में कॉलेज के दिनों से ही हुए खेती करना शुरू कर दिए थे। देवेश ने 2005 में ही अपना एक ब्रांड Satva organic का आरंभ किया और इसमें उन्होंने हल्दी, अदरक और इस तरह के फसलों से बनाये गए अचार, हल्दी के पाउडर, अदरक के सूखे पाउडर, चाय मसाला जैसे कई उत्पादों को बनाना शुरू कर दिया। आज के समय में वह सत्व ऑर्गेनिक के तहत 27 तरह के उत्पादों की बिक्री देश सहित दुनिया भर में कर रहे हैं।

देवेश बताते हैं कि उन्हें हर महीने 15000 के आसपास आर्डर मिल जाते हैं। हर साल वह America और Europe के कई देशों में करीब 4 टन अदरक और Turmeric exports करते हैं जिससे उन्हें हर साल लगभग देर डेढ़ करोड़ की कमाई हो जाती है। इसके अलावा वह यह भी बताते हैं कि उन्होंने कृषि के क्षेत्र में 200 से अधिक किसानों को प्रशिक्षित करने का भी काम किया है और उन्हें जैविक खेती करने में मदद की और कई किसान तो आज खुद भी उधमी बन गए हैं।

दिवेश पटेल का किसान बनने का सफर

देवेश का जन्म एक किसान परिवार में हुआ। इस वजह से वह हमेशा से प्रकृति से जुड़े रहे है। उनके पास उनकी पैतृक जमीन करीब 12 एकड़ के आसपास है, इसके अलावा उन्होंने अपने दोस्तों और रिश्तेदारों से पट्टे पर 5 एकड़ अतिरिक्त जमीन ले ली है क्योंकि देवेश का परिवार काफी लंबे समय से खेती कर रहा था और 1992 से वे लोग जैविक खेती की ओर रुख करने लगे थे।

देवेश कहते हैं कि हम अपनी जमीन को मां का दर्जा देते हैं। यह जमीन हमारी मां होती हैं और हम इसे जहर नहीं दे सकते। मिट्टी से ही अलग-अलग विविधताओं को अंजाम देने का काम हो जाता है साथ ही लोगों को ताजा और Chemical free food उपलब्ध कराना किसान की एक सामाजिक जिम्मेदारी भी होती है। बस इसी सोच के साथ वह जैविक खेती की तरह आगे बढ़ते गए।

Devesh satva organic नाम का ब्रांड 2005 में शुरू किया था लेकिन इस नाम का पहली बार प्रयोग किसानों द्वारा 1998 में ही किया गया था। दिवेश ने आनंद जिले में स्थित कॉलेज ऑफ साइंस से Management and Computer Technology की डिग्री हासिल की है। इसी दौरान वह कृषि आधारित कारोबार पर भी जांच पड़ताल करने लगे और पढ़ाई के साथ वह इसे अमल में लाने लगे थे।

देवेश अपने उत्पाद के बारे में बताते हैं कि उनका सारा उत्पाद जैविक था इसलिए Abiotic mandis में उनके उत्पाद की कीमत उसी के बराबर मिलती थी। लेकिन वह अपने उत्पादों को एक ग्रेड देना चाहते थे और इसलिए वह इसके बाजारों का पता लगाना शुरू किया। दिवेश कहते हैं कि कॉलेज के दौरान कुछ बैंक्वेट हॉल थे जिनमें अक्सर बैठक होती थी।

तब वह उस के कार्यक्रम में अक्सर हिस्सा लिया करते थे। इसके बाद उन्हें अपने उत्पादों को सीधे वही पर बेचने का विचार आया। इससे बिचौलियों और अन्य दूसरी लागतो से छुटकारा भी मिल गया और अपनी जैविक उत्पादों की आपूर्ति से अधिक लाभ भी मिलने लगा।

वह कई क्लबों के अध्यक्षों से इसके लिए सीधे बात करके अपने ग्राहक बनाये और कुछ ही समय बाद उन्हें घर से ही आर्डर प्राप्त मिलने शुरू हो गए और डिलीवरी में सुबह कालेज जाने के दौरान वह कर दिया करते थे। दिवेश बताते हैं कि उनके ब्रांड का संचालन काफी हद तक उनके परिवार द्वारा ही होता था क्योंकि हर कोई वहां पर Farming, Marketing, Processing के बारे में जानता था तो वो सब भी अपनी जिम्मेदारी निभाते थे।

क्योंकि देवेश जैविक खेती करते थे इसलिए बीजों को बोने से पहले मिट्टी को पोषक तत्वों से समृद्ध बनाते थे। इसके अलावा ऐसे पौधों को विकसित करते थे जो मिट्टी के पोषक तत्वों को बढ़ावा देते हैं और Organic manure की मदद से मिट्टी की Fertility power को बढ़ाया जाता है।

मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाने के लिए डेरी फॉर्म से गोबर ले कर उसका  उपयोग करते हैं। इसके अलावा स्थानीय कृषि विश्वविद्यालय द्वारा उत्पादित एंटीफंगल पाउडर और तरल जैविक बैक्टीरिया को मिलाकर खाद का निर्माण खेत में ही बड़े-बड़े गड्ढों में किया जाता है। इसमें किचन के वेस्ट मटेरियल और सूखे पत्तों को भी डाला जाता है और उनसे खाद बनाई जाती है।

 

देवेश में बाद में 12 सौ वर्ग फुट में एक प्रसंस्करण की इकाई स्थापित की और उस में Potato Chips, Flavor, Popcorn, Masala Mix बनाए जाने लगे और इस इकाई की देखभाल उनकी पत्नी करने लगी।

देवेश बताते हैं कि वे ज्यादातर Potato, turmeric, ginger, sweet potato, beet, brinjal, wheat, coriander जैसे फसलों की खेती करते हैं। देवेश के ब्रांड के तहत बेचे जाने वाले सभी उत्पाद एफएसएसएआई और इंडिया ऑर्गेनिक और यूएसडीए द्वारा प्रमाणित है, साथ ही ग्राहक भी उनके उत्पादों की गुणवत्ता से संतुष्ट हैं।

देवेश बताते हैं कि उनके उत्पादों की मांग भारत समेत दूसरे देशों में भी काफी अधिक है और वह अपने कृषि कार्यों को बढ़ाकर मांगों को पूरा आने वाले समय में करने में सक्षम होंगे।

देवेश पटेल का कहना है कि आने वाले समय में वह किसानों को  जैविक खेती के लिए प्रेरित करेंगे और जागरूक करने का काम करेंगे।

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