ADVERTISEMENT

जीवन : Jeevan

Jeevan
ADVERTISEMENT

इस जीवन में ज़िंदगी जीने के अलावा भी बहुत कुछ है । यों ही जीवन जीने के अलावा भी इसमें बहुत कुछ होना चाहिए। जीवन का कोई ऊँचा हेतु लक्ष्य होना चाहिए ।

जीवन का हेतु इस प्रश्न के सही जवाब तक पहुँचना है कि मैं कौन हूँ ? यह प्रश्न कितने ही जन्मों से निरुत्तर है । मैं कौन हूँ ? की इस खोज में बाकी बची कड़ियाँ ज्ञानीपुरुष के शब्दों में मिलती हैं । अतः परमात्मा है ?

ADVERTISEMENT

परमात्मा है ही और वह हमारे पास ही है । बाहर कहाँ खोजते हैं ? पर कोई हमें यह दरवाज़ा खोल दे तो दर्शन कर पायें न । यह दरवाज़ा कृत कर्मों से ऐसे बंद हो गया है कि खुद से ही खुल पायेगा । ऐसा है ही नहीं की यह खुलेगा नहीं ।

वह तो जो खुद पार हुए हो ऐसे तरणतारण, तारणहार ज्ञानी पुरुष का ही काम है। अर्थात My की वजह से मोक्ष नहीं होता है । मैं कौन हूँ का ज्ञान होने पर My छूट जाता है । My छूट गया तो सब छूट गया।

एक कृत्रिम आवरण (artificial cover) में जो ( कर्मों ) से लिपटा हुआ अपना जीवन जैसे तैसे बस गुज़र रहा हैं ।जीवन की भाग दौड मे हमारे चेहरे की रंगत खो गई है ।अरे ! हँसकर उठने वाला मुखिया कई बार बिना मुस्कुराये ही शाम गुज़ार देता है ।

और ज़िंदगी चलती जाती हैं व्यक्ति निर्विकार तथा निर्दोष जीवन कैसे जीएँ। तो शास्त्रों में हम पाते है की जीने की चाह राग है मरने की चाह द्वेष। दोनो ही परीहेय है बशर्तें संयम के साथ हो।

तो जीवन जीना भी एक कला है । अपना जीवन कभी भी परिपूर्ण नहीं होता है । उसमें कोई न कोई कमी जरुर रहेगी । क्यों ना कुछ समय निकले ख़ुद के लिए व कुछ लम्हे जियें खुद के लिए ।

क्यूँकि सूर्य की तपन , चाँद की किरण ,पक्षियों की तान , झरने के मधुर गान से फैली संसार की हरीतिमा चित्त को साता पहुँचाने हेतु होती हैं। ज़िंदगी सही से जीना इसीका नाम है ।

जीवन जीना एक सामन्य प्रक्रिया है व दुनियां में सभी यह जीवन जीते है ।लेकिन कोई मरने के बाद भी न मरे यह एक विशेष बात होती है ।

जो जीता है जागरुक बनकर जीवन को ,जो जीता है जीवन के हर पल-क्षण को, करता है अपने साथ दूसरों का भी भला, वही सही से जान सकता है सम्यक रूप में इस जीवन को जीने की सही कला ।

जीवन में सफलता के लिए आत्मविश्वास उतना ही आवश्यक है जितना मानव के लिए ऑक्सीजन तथा मछली के लिए पानी । बिना आत्मविश्वास के व्यक्ति सफलता की डगर पर कदम बढ़ा ही नहीं सकता है ।

आत्मविश्वास वह ऊर्जा है जो सफलता की राह में आने वाली अड़चनों, कठिनाइयों एवं परेशानियों से मुकाबला करने के लिए व्यक्ति को साहस प्रदान करती है । वर्तमान समय में अगर हमें कुछ पाना है । किसी भी क्षेत्र में कुछ करके दिखाना है । जीवन को खुशी से जीना है तो इन सबके लिए आत्मविश्वास का होना परम आवश्यक है ।

आत्मविश्वास में वह शक्ति है जिसके माध्यम से हम कुछ भी कर सकते है । आत्मविश्वास से हमारी संकल्प शक्ति बढ़ती है और संकल्प शक्ति से बढ़ती है हमारी आत्मिक शक्ति भी जागृत होती है ।

अतः मधुमक्खी कण-कण से ही शहद इकट्ठा करती है क्योंकि उसे कहीं से इसका भंडार नहीं मिलता है । उसके छत्ते में भरा शहद उसके आत्मविश्वास और कठिन परिश्रम का ही परिणाम है।

आत्मविश्वास और दृढ़ निश्चय सफलता का सोपान है। प्रेरणा भी है और इसे हासिल करने के सूत्र भी। संकल्प शक्ति का विकास भी एक उपाय बताया गया है । आत्म विश्वास सफलता की बङी कुंजी है। और हर किसी के पास कमोबेश ये पूंजी है।

पर जो नहीं खर्च करता है इस खजाने को वह इन्सान दुनिया का सबसे बङा मूंजी है। आत्मविकास , आत्मोन्नति के लिए सबसे महत्वपूर्ण है आत्मविश्वास।आध्यात्मिक प्रेरणा और महत्वपूर्ण शिक्षा है ।

प्रदीप छाजेड़
( बोरावड़)

यह भी पढ़ें :-

बात तो भावना की है : Baat to Bhavna ki Hai

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *