श्वसन तंत्र ऑक्सीजन को शरीर में प्रवेश करने और कार्बन डाइऑक्साइड को शरीर से बाहर निकलने में सक्षम बनाती है। श्वसन तंत्र, नाक और मुंह से शुरू होता है और वायुमार्ग और फेफड़ों से होकर आगे बढ़ता है।
वायु नाक और मुंह के ज़रिए श्वसन तंत्र में प्रवेश करती है और गले (फ़ेरिंक्स) और वॉइस बॉक्स, या लैरिंक्स से होकर गुजरती है।हमे जीवन में स्वस्थ रहने के किए सही श्वास प्रक्रिया को अपनाना चाहिये क्योंकि श्वास हमारा प्राणाधार है।श्वास ही जीवन की आस हैं ।
दूसरी बात जो केवल जानने लायक़ ही नहीं है बल्कि गहन समझने लायक भी हैं कि हमारी दो साँसों के अन्तराल में श्वास बहुत महत्वपूर्ण काम करती है ।वह शरीर में ऑक्सीजन का संचार करती है और कार्बनडाई ऑक्साईड को बाहर निकाल देती है तथा शरीर के ओनेकोने तक अनवरत रक्त का प्रवाह करते रहती है ।
हम श्वास प्रेक्षा करते हैं। इसमें जो मर्म की बात है, वह यह है कि श्वास के भीतर अश्वास को देखना। श्वास को देखते-देखते उसके भीतर अश्वास का अनुभव करना। हम श्वास लेते हैं श्वास भीतर जाता है।
श्वास का रेचन करते हैं, श्वास बाहर निकलता है। इस परिप्रेक्ष्य में समझने की बात यह हैं कि दिल जितना ज्यादा धड़केगा रिलेक्स होकर रक्त-प्रवाह में उतनी ही अधिक ऑक्सीजन प्रवाहित होगी और उतना ही अधिक शरीर फुर्तीला स्वस्थता सहित होगा । इसलिए श्वास प्रक्रिया पर ध्यान देना शुरू करें बदले में बिन मॉंगे ही स्वास्थ्य लाभ पा ले ।
प्रदीप छाजेड़
( बोरावड़ )
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