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अपने बच्चे को सिखाइए गिवर बनना

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इंसान का मन बच्चे की तरह सच्चा,करण जैसा दानवीर, महात्मा गांधी जैसा अहिंसावादी और राम जैसा मर्यादा पालन करने वाला हो।

अगर ऐसा इंसान का जीवन होगा तो उस इंसान के जीवन की किताब का पहला और अंतिम पृष्ट तो क्या पूरी किताब ही बहुत सुंदर होगी ।

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ठीक उसके विपरीत कार्य करने वाले व्यक्ति की किताब का पहला पृष्ट तो क्या कोई पेज पढ़ने का मन नहीं करेगा अगर ऐसे संस्कारों से युक्त हम हमारे बच्चो का जीवन बनायेंगे तो उनका जीवन खुशहाल होगा ।

इसके विपरीत आजकल हम प्रतिवर्ष बच्चे का हर जन्मदिन आदि पर पिछली साल से और बेहतर Gift देकर गर्व महसूस करते हैं।

उनका जन्मदिन आदि गत वर्ष से बढ़ चढ कर मनाने में अपनी शान समझते हैं। हम भूल जाते हैं कि ऐसा करते रहने से हम बच्चे में हर वर्ष विगत वर्ष से कुछ अधिक पाने की लालसा जगाते रहते हैं।

उनके मन में अहंकार का बीजारोपण करते हैं। इसके विपरीत उसके जन्मदिन पर किसी अनाथालय आदि ले जाएँ जहॉं उसके हाथ से उनकी जरूरत की चीजें बाँटी जाएँ।

उसको गौरवान्वित महसूस कराएँ कि उसने एक महान काम किया है। उसे हम Receiver की बजाय Giver बनना सिखाएँ।

ऐसा कर के उसके मन में अहंकार का बीज न पनपाएँ बल्कि कृतज्ञता भाव जगाएँ क्योंकि बच्चा हो या और कोई जिसको हम जैसा सिंचन देंगे वह वैसा ही फल देगा । इसलिये बच्चों को हम अच्छे संस्कारी बनायें ताकि हरेक स्थिति में वह जीना सीख जाएं ।

प्रदीप छाजेड़
( बोरावड़ )

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