भाग्यानुसार सबको सब कुछ जो दे रखा है। अतः हम सभी को माफ कर दे , हमको दिमाग में ईगो आदि लेकर कहाँ जाना है। हमारे जीवन में वक्त बहुत कम है, यह सदैव हम याद रखें वह बिगड़े हुए सारे रिशते सँवार ले ।
अतः हम जीवन में खुलकर जियें । यह सोचना बंद करे लोग क्या कहेंगे । वह एक और बात कही जो दिल को छू गई कि अपनी उम्र को भूल जाओ और आनंद से रहो।
हम क्यों बीतती उम्र को सोच-सोच कर बूढ़े हो रहे हो। हम यह समझे जीवन और मृत्यु तो हमारे हाथ में नहीं है पर इसके बीच के समय के मालिक तो हम ही हैं , हाँ! बस यह ध्यान ज़रूर रहे कि हमारे कारण दूसरों को कभी कोई तकलीफ न हो।
इसका यह मतलब नहीं है कि केवल मौज-मस्ती में ही हम जीवन जिये । हमको आध्यात्मिक पक्ष को भी ध्यान में रखना है हमारी आगे की नींव तो उसी से बंधेगी।
अतः इससे उबरने के लिय कोई जादुई छड़ी नहीं बल्कि चिन्तन की सही दिशा ही कारगर सिद्ध हो सकती है। उसके लिए आव्श्यक यह है जीवन में जैसे सम्भव सद्गुरु की सद्संगत व सद्साहित्य पठन जिसमें मन लगाना होता है।
वह हमको जो अप्रिय घटनाएँ, बातें आदि सालने लगती हैं, व्यग्र करने लगती है, उन्हें तो शीघ्रतिशीघ्र भूला ही देना चाहिए ।
अतः जिंदगी में भूल जाने की आदत भी तनाव से मुक्त रहने के लिए बहुत जरूरी है क्योंकि हम अप्रिय बातों को भूलेंगे तभी तो हमको हमारी जिन्दगी प्यारी लगेगी।
ऐसे में सदैव व्यक्ति को अपने आपको खुश एवं प्रसन्न रखने का प्रयत्न करना चाहिए वह जितना हो सकें प्रसन्न मन रहें।
वह हमारे भाव निर्मल होंगे तभी वैर का तनाव का आदि अंत होगा और तभी सौहार्द व शांति का सुखद व सरस तथा स्नेहिल बसंत हमारे जीवन में फलेगा। यही हमारे लिए काम्य है ।
प्रदीप छाजेड़
( बोरावड़)
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