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यादें : Yaadein

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हमारे जीवन में यादें वो पल है जो हमको आगे से आगे बढ़ने की और सही से प्रेरित करती रहती है । हम अपने जीवन में सदैव इस और प्रयासरत रहते है कि हमारे साथ में हमारी अच्छी यादें जुड़ी रहें ।

हमारे जीवन में कुछ चीनी सी मीठी यादें शुभ प्रवृति हैं और दुःख भरी बातें चायपत्ती सी कड़वी हैं । हम अपने तन पर दवा के लेप करते है जिससे हमारे शरीर का घाव ठीक हो जाता है किन्तु मन के फटने पर कोई औषधि या उपाय कारगर नहीं होता है ।

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अतः हमारा प्रयास यह रहे कि हम कोई अशुभ घाव याद ना रखे वह सब भुलाकर खुद से अपनी पहचान कर ले। हम यह याद रखे की काँटों की चुभन के बीच भी शुभ प्रवृति खुशबू गुलाब की पलती है। सूरज की एक किरण, हर रोज दरवाजे पर दस्तक देकर, चुपके से नजरों से ओझल हो जाती है ।

नीम के पेड़ को छूकर घर-आंगन के कोने- कोने में आने वाली हवा पता नहीं कब- कहाँ खो जाती है। जीवन के मूल्य बदल गये हैं ,बीते जमाने की बातें रह गयी है , वह धुंधली सी यादें बनकर केवल युग क्या बदला की खेत,खलिहान चौपालों की धमाल तो कभी-कभी गहरी तन्द्रा मे दर्श दिखा जाती है।

हमारा जब फ़ोन हैंग हो जाता है या धीरे चलने लगता है तो हम क्या करते हैं ? हम अनावश्यक डाटा,तस्वीरें, फाइलें आदि मिटा देते हैं ताकि फोन हल्का हो जाए और नवीन डाटा आदि के लिए जगह ख़ाली हो जाए। वह यही सिद्धांत हुबहू हमारे जीवन के लिए भी लागू होता है ।

हमें जब माथा भारी लगने लगता है और लगता है कि हमारा जीवन हैंग सा हो गया है तो आइये अवांछनीय यादें भूला दें , जीवन के दर्द भरे सारे अनुभव आदि इसे हम दिमाग से डीलीट कर दें ताकि जिससे हमको दिमाग हल्का लगने लगे।

हम धीरे – धीरे खाली जगह में ताज़ी मधुर यादें संजो सकें और जीवन की मधुर मुरादें वह मीठे अनुभव भरते रहें । हमारा जीवन बहुत छोटा है । हम इसे पूरे आनन्द से जीएँ , जीवन को सहज व सुन्दर बनाएँ।

अतः हम दुनिया का शोर छोड़कर एकान्त को अपनायें जिससे हम बहिर्मुखता से निकलकर अन्तर्मुखी बन जाएँ । हम सबको भुलाकर खुद से अपनी पहचान कर ले जिससे हर गम का हमको असली समाधान मिल जाएगा । यही हमारे लिए सही से काम्य हैं।

प्रदीप छाजेड़
( बोरावड़)

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