हमारा भविष्य सदा अज्ञात ही रहता है ।विशेष रूप से स्वयं का आयुष्य कोई नहीं जानता कि वह कितने वर्ष जिएगा।जिएगा तब तक उसका स्वास्थ्य कैसा रहेगा। सम्पन्नता के हिसाब से जीवन क्या कहानी कहेगा आदि आदि।
पर मनुष्य की यह जन्मजात उत्सुकता इस अज्ञात को ज्ञात करना है ।इसके लिए वह बहुत उत्सुक रहता है, नाना जतन ज्योतिषियों के चक्कर में पड़ता है आदि – आदि भी करता है।
आध्यात्मिक उपलब्धियां ही मनुष्य की जीवन की सार्थकता सिद्ध करती हैं। पशु -पक्षियों और जीव जंतुओं के पास ऐसा कोई सामर्थ्य नहीं होता। मानव जीवन अमूल्य हैं, हजारों लाखों वर्ष की साधना के बाद यह कभी कभार मिलता है।
इसीलिए समय रहते मनुष्य जीवन को सात्विकता और पवित्रता पूर्वक जीना चाहिए। घर गृहस्थी में रहते हुए भी अच्छी तरह जीवन जिया जा सकता है । इंसान का जीवन अच्छे कर्मों से मिलता है | इंसानियत की खासियत से ही जीवन खिलता है| ।
अच्छा स्वभाव एक विशेष पहचान बनाता है | सब के दिलों में खास जगह दिलाता है ।स्वभाव संग सुंदरता का प्रभाव,इतना ही दर्शाता है|
जैसे कीमती तौफे को खूबसूरती से सजाकर भेंट किया जाता है। वर्तमान का क्षण अति महत्वपूर्ण है क्योंकि यही है द्वार जीवन में प्रवेश करने का जो जीवन को जानता है, इसके उद्देश्य और लक्ष्य को समझता है उसे वर्तमान के क्षणों में ही गहरे, गहन अवगाहन करने से परम की उपलब्धि होती है ।
वर्तमान को छोड़कर भविष्य की योजना बनाना एक दिवास्वप्न के समान है ।अतीत में उलझे रहना एक विडंबना के समान है । परंतु वर्तमान में जो जीते हैं वह एक ऐसे जीवन को प्राप्त कर लेते हैं जिसका प्रत्येक क्षण मूल्यवान बन जाता है।
सो जीने का आनंद लेते हुए हम जीएँ, भविष्य जानने की बजाय सही से भविष्य बनाएँ। यह भी समझना चाहिए कि यह अनिश्चितता आदमी को अटपटी भले ही लगे परन्तु इसी अनिश्चितता की
वजह से ही जीवन में रस है।
अगर हमें बता दिया जाए कि इतने साल बाद उस दिन हमारी मृत्यु तय है तो फिर हमको जीने का आनंद ही नहीं आएगा, हर वक्त वह दिन ही दिखेगा। अतः यह मैं फिर कहता हूँ कि इस राज को राज ही रहने दें।
प्रदीप छाजेड़
( बोरावड़)
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