Success story:-
कोरोना वायरस महामारी के दौर में लाखों स्टूडेंट अपने कैरियर और फ्यूचर को लेकर परेशान हैं। इस बीच मनु चौहान का लक्ष्य फिक्स है। वह अपने सपनों को पूरा करने के लिए सितंबर महीने में यूएसए (अमेरिका) की उड़ान भरने वाले हैं।
उन्हें स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से 100% स्कॉलरशिप मिली है। मनु को यह पूरा भरोसा है कि अब उनके सपनों को उड़ान मिल गई है। लेकिन मनु का यह सफर आसान नहीं था। आइए जानते हैं कैसे रहा मनु का सफर, अलीगढ़ से स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी पहुंचने तक का ।
परिचय –
मनु के पिता एक सेल्समैन है। जिसकी वजह से परिवार की इनकम बेहद सीमित है। मनु के पिता अलीगढ़ के अकराबाद गांव में बीमा एजेंट है। वह अपने परिवार की दैनिक जरूरतों को पूरा करने के लिए काफी संघर्ष करते हैं। लेकिन उनके पुत्र मनु बेहद कम साधन में ही अपनी पढ़ाई पर पूरा फोकस किया। वह पढ़ने में काफी होशियार बचपन से ही रहे है।
शुरुआती पढ़ाई गांव के स्कूल में हुई –
उन्होंने बताया कि अकराबाद गांव के स्थानीय स्कूल में उनके शुरुआती पढ़ाई हुई है। वह अकराबाद के सरकारी स्कूल में कक्षा 5 तक की पढ़ाई किए हैं। इसके बाद उनका सिलेक्शन विद्याज्ञान स्कूल में हो जाता है।
विद्याज्ञान स्कूल उत्तर प्रदेश में वंचितों के लिए शिव नादर फाउंडेशन द्वारा संचालित आवासीय विद्यालय है। हर साल इस स्कूल में सबसे छोटे गांव के लगभग ढाई लाख छात्रों प्रवेश परीक्षा में शामिल होते है। जिनमें से केवल 250 छात्रों का चयन हो पाता है।
मनु बताते हैं कि वह गर्मियों की छुट्टियों के दौरान अपने घर पर आते थे। उस समय वह अपने पिता और परिवार के लोगों को कई तरह की बातें करते हुए सुनते थे।
इसी बीच वह भी अपनी राय अपने परिवार जनों को देते थे। इसी बीच मनु को एहसास होता है कि उनका रुझान नीति और और पॉलिटिकल साइंस में अधिक है।
स्वर्ण पदक विजेता रहे हैं –
मनु ने दसवीं परीक्षा के बोर्ड एग्जाम में 95 फीसदी अंक हासिल किए हैं। उनके बेहतरीन प्रदर्शन के लिए उन्हें पुरस्कृत भी किया गया था। इसके अलावा इंट्राक्लास वाद विवाद प्रतियोगिता में मनु को बेस्ट स्पीकर का अवार्ड भी मिल चुका है।
मनु खेलने में भी काफी अच्छे है। वह टेबल टेनिस के स्टेट लेवल के चैंपियन हैं और उन्हें साल 2018 में स्टेट लेवल के टेबल टेनिस में स्वर्ण पदक हासिल हुआ था।
कैसे शुरू हुआ था स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी का सफर –
मनु बताते हैं कि यह दुनिया के सबसे टॉप की यूनिवर्सिटी में से एक मानी जाती है। यहां बेसिक चीज रिसर्च है। भारतीय यूनिवर्सिटी में रिसर्च को उतना अवसर प्रदान नहीं किया जाता है जितना कि फॉरेन में किया जाता है।
मनु कहते हैं कि वह बदलाव लाना चाहते हैं और इसके लिए स्टेनफोर्ड पहुँचना आवश्यकता है और उन्हें यकीन है कि स्टैनफोर्ड में उन्हें वह सब कुछ मिलेगा। उन्होंने इसके लिए आवेदन 11 कक्षा से ही कर दिया था।
क्योंकि 11 वीं के दौरान ही आवेदन शुरू हो जाता है। इसी दौरान उन्हें उनके स्कूल के काउंसलर द्वारा परामर्श दिया गया। यहां तक कि दिल्ली के काउंसलर तब भी उनकी पहुंच थी। इन लोगों ने मनु को प्रेरित किया और आवेदन पत्र भरने में मदद की। मनु ने सेट की परीक्षा दी जिसमें उन्हें 1600 में 1470 अंक हासिल हुए।
12 वीं की परीक्षा रद्द होने से निराशा हुई –
मनु कहते हैं कि 12वीं की बोर्ड परीक्षा रद्द हो जाने के फैसले से वह खुश नहीं है। वह बोर्ड परीक्षा का इंतजार कर रहे थे। वह बोर्ड परीक्षा में 95 फ़ीसदी से भी अधिक अंक लाना चाहते थे। लेकिन सरकार द्वारा कोरोना वायरस महामारी के मद्देनजर बोर्ड परीक्षाओं को रद्द कर दिया गया है।
इस तरह किया पैसे का इंतजाम –
मनु बताते हैं कि स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी में अप्लाई करने का प्रोसेस सस्ता नहीं होता है। लेकिन उन्होंने स्कॉलरशिप के जरिए इस फॉर्म की पेमेंट की। वह बताते हैं कि उत्तर प्रदेश बोर्ड की छात्रवृत्ति से उन्होंने सेट परीक्षा के लिए भुगतान किया।
इसके अलावा आवेदन प्रक्रिया में उनके स्कूल वालों ने भी उनकी काफी मदद की। वास्तव में देखा जाए तो वह कहते हैं कि ऐसे कई लोग और संस्थान है जो उन छात्रों की मदद करते हैं जिनके पास संसाधन नहीं होता है, लेकिन उनके अंदर इच्छाशक्ति और दृढ़ संकल्प होता है।
इस फील्ड में लेंगे डिग्री –
मनु अपने लाइफ का नया चैप्टर शुरू करने वाले हैं, जिसे लेकर वह बेहद खुश हैं। वह वैक्सीन की पहली डोज चुके हैं और दूसरी डोज का इंतजार कर रहे हैं।
सितंबर महीने के पहले सप्ताह में उन्हें अमेरिका जाना है। इसके पहले पहले वह वैसलीन की दूसरी डोज भी लगवा लेंगे। वह स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से अंतरराष्ट्रीय संबंधों और अर्थशास्त्र में अपनी ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल करने की इच्छा रखते हैं।