एक ऐसी युवा महिला की कहानी जिसने दो बार यूपीएससी की परीक्षा में असफल होने के बावजूद नहीं मानी हार , इस प्रकार तीसरे प्रयास में बन गई आईएएस

IAS Pari Bishnoi ki kahani

आईएएस की परीक्षा में सफलता हासिल करने वाले सभी प्रकार के अभ्यार्थी कड़ी मेहनत के साथ इस परीक्षा में सफलता हासिल करने का प्रयास करते हैं परंतु सभी अभ्यर्थी अपने पहले प्रयास में सफलता नहीं हासिल कर पाते हैं , पर ऐसा नहीं कहा जा सकता है कि पहले प्रयास में सभी कैंडिडेट्स को सफलता नहीं मिलती कुछ उत्तम कैंडिडेट्स होते हैं जो अपने पहले प्रयास में इस कड़ी परीक्षा में सफलता हासिल कर लेते हैं ।

जानकारी के लिए आप सभी को बता दें कि आज हम बात करने वाले हैं परी बिश्नोई के बारे , परी बिश्नोई मूल रूप से अजमेर की रहने वाली हैं । परी के पिता मीनाराम बिश्नोई एक एडवोकेट है अर्थात माता सुनीला बिश्नोई अजमेर में जीआरपी में है ।

परी ने अपनी स्कूली शिक्षा अजमेर के सेंट मेरी कान्वेंट स्कूल से पूरी की है अर्थात आगे की पढ़ाई के लिए परी ने दिल्ली की ओर रुख किया अर्थात इन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से बैचलर्स की डिग्री हासिल की है ।

परी ने अपनी ग्रेजुएशन की पढ़ाई के दौरान ही सिविल सेवा में जाने का मन बना लिया था इसलिए उन्होंने ग्रेजुएशन की पढ़ाई के साथ-साथ सिविल सेवा की पढ़ाई करनी भी शुरू कर दी थी ।

परी ने अपनी ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल करने के बाद अजमेर के एमडीएस विश्वविद्यालय से पॉलिटिकल साइंस के विषय में अपनी पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री को हासिल किया हैं।

परी काफी लंबे समय से सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी में जुटी हुई थी , इस बीच परी बिश्नोई ने जी आर एफ का एग्जाम भी पास कर दिया था परंतु इसके साथ-साथ परी काफी जोरों सोरों से यूपीएससी परीक्षा की तैयारी में लगी हुई थी , क्योंकि परी बचपन से यूपीएससी की परीक्षा पास करके आईएएस कि फील्ड में जाना चाहती थी ‌।

इस दौरान परी ने अपना पहला प्रयास यूपीएससी परीक्षा में किया परंतु वह अपने पहले और दूसरे प्रयास में असफल हो गई परंतु फिर भी परी ने अपनी असफलता से हार नहीं मानी बल्कि अपने मनोबल को और अधिक प्रेरित किया और कठिन परिश्रम के साथ इस परीक्षा में एक बार फिर से हिस्सा लिया ।

आखिरकार परी की मेहनत रंग लाई और परी ने वर्ष 2019 में भारतीय  संघ लोक सेवा द्वारा आयोजित यूपीएससी की परीक्षा में अपने तीसरे प्रयास में 30वी रैंक हासिल करके सफलता हासिल की।

अपनी सफलता के बाद परी ने अपनी सफलता का पूरा श्रेय अपनी माता को दिया वह करती हैं कि परिवार का साथ तो जरूर था परंतु वह आईएएस में जाने के लिए प्रेरित अपनी माता से ही हुई है ।

परी बताती है कि वह यूपीएससी परीक्षा देने के दौरान दो बार असफल हुई भले ही वह हिम्मत हार रही थी परंतु उस वक्त उनकी माता ने उनका पूरा समर्थन किया और उन्हें प्रोत्साहन दिया ।

परी कहती है कि उनकी माता ने हर बार असफलता के बाद उन्हें एक ही जवाब दिया असफलता से निराश नहीं होना चाहिए बल्कि इमानदारी से असफलता को स्वीकार करके सफलता को प्राप्त करने का लगातार प्रयास करना चाहिए ।

 

लेखिका : अमरजीत कौर

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