अपने सपनों का पीछा करते हुए उसे दिन रात पूरा करने में लगे रहना आसान बात नहीं होती है। बहुत सारे लोग जीवन की इस यात्रा में अपने सपने को बीच में ही छोड़ देते हैं।
लेकिन कुछ बहादुर लोग होते हैं जो विषम परिस्थितियों का सामना करते हैं और तब तक डटे रहते है जब तक सफलता प्राप्त नही कर लेते हैं। आज की कहानी है अनिला ज्योति रेड्डी की जो कि हर महिला के लिए एक मिसाल है।
इन्होंने अपने दृढ़ संकल्प के दम पर अपने आप को करोड़ों का बिजनेस करने वालो की श्रेणी में लाकर खड़ा कर दिया है। जब वह बहुत छोटी थी तो वह एक अनाथालय में रहा करती थी क्योंकि उनके पिता बेहद गरीब थे और इस वजह से उन्होंने अनिला को अनाथालय में डाल दिया था यह कह कर की वह उनकी लड़की नहीं है।
अनिला ज्योति जब मात्र 16 साल की थी तभी उनकी शादी 28 वर्ष के एक व्यक्ति से कर दी गई थी। उस समय माहौल रूढ़िवादी था और उनको यह बात बिल्कुल भी पसंद नहीं थी।
जिससे ज्योति की शादी हुई थी वह भी एक कम पढ़ा लिखा किसान व्यक्ति था। शादी के कुछ सालों तक ज्योति को खुले में शौच जाना पड़ता था और रोजाना कमाने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती थी बदले में उन्हें रोजाना ₹5 मजदूरी मिला करती थी। मात्र 17 साल की उम्र में ज्योति ने एक बच्चे को जन्म दिया और अगले ही साल दूसरी बार मां बन गई।
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वह दिन भर घर के कामों में लगी रहती थी और परिवार को चलाने में मदद करती थी लेकिन वह अपने जीवन से संतुष्ट नहीं थी। वह गरीबी से बाहर आना चाहती थी। लेकिन दिनों दिनों गरीबी से घिरती जा रही थी।
ज्योति घर चलाने के लिए खेतों में भी काम करने लगी थी लेकिन इसके बावजूद घर का खर्चा मुश्किल से चलता था। लेकिन इस सबके बावजूद उन्होंने अपने बच्चों को शिक्षा दी और तेलुगू मीडियम में स्कूल पढ़ने के लिए भेजा करने लगी और फीस के रूप में हर महीने ₹25 देती थी। यह सब कुछ वह खेतों में मजदूरी करके जो कमाती थी उससे देती थी।
धीरे-धीरे अपने सभी बंधनों से आजाद होते हुए ज्योति ने खेत में काम करने वाले लोगों को सिखाना शुरू कर दिया। इससे उनकी एक अलग ही पहचान बनती गई। उन्होंने एक सरकारी नौकरी भी कर ली जिससे उन्हें हर महीने ₹120 तनख्वाह के रूप में मिलते थे। इसके अलावा वह पास के एक गांव में महिलाओं को सिलाई सिखाने का भी काम करने लगी।
सीईओ बनने का सफर :-
ज्योति की कहानी भी अलीबाबा के संस्थापक जैक मा की तरह ही है। उन्होंने एक शिक्षक से अमेरिका की एक कंपनी में सीईओ बनने तक का सफर तय की है। ज्योति ने वारंगल के काकतिया यूनिवर्सिटी से अंग्रेजी में MA करना चाहती थी।
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लेकिन यह संभव नहीं हो पाया। इसके बाद ज्योति ने अमेरिका जाने का फैसला किया और वहां जाकर सॉफ्टवेयर की बेसिक बातें सीखने लगी उस समय ज्योति के लिए अमेरिका जैसे देश में जाकर बसना अपने आप में एक बड़ी बात थी। ज्योति के एक रिश्तेदार ने उनकी बहुत मदद की, जिसकी वजह से उन्हें वीजा मिल पाया और वह न्यूजर्सी के लिए रवाना हो पाई।
ज्योति ने अपना बिजनेस खड़ा करने के लिए छोटे-छोटे कई काम किये। उन्होंने सेल्स गर्ल, रूम सर्विस, असिस्टेंट बेबी सिटर, गैस स्टेशन अटेंडेंट, सॉफ्टवेयर रिपोर्टर के रूप में भी नौकरी की और आज उनका यूएसए में 6 घर है और वह मर्सिडीज जैसी महंगी गाड़ियों की मालकिन भी हैं।
ज्योति भले ही अमेरिका जैसे देश में रह रही हैं लेकिन हर साल 29 अगस्त को वह भारत आती हैं। दरअसल 29 अगस्त को ज्योति का जन्मदिन होता है और वह भारत में अपना जन्मदिन मनाने आती हैं और उसी अनाथालय में जाया करती हैं जहां पर वह रहती थी और अनाथालय के बच्चों के लिए ढेर सारा गिफ्ट भी लेकर आती हैं। छोटी सी उम्र में अपने से 12 साल बड़े आदमी से शादी उसके बाद सिलीकान वैली जैसे शहर में सीईओ बनना अपने आप में बड़ी बात है।
ज्योति रेड्डी की कहानी अपने आप में बेहद अद्भुत और प्रेरणादायक है। यह हर भारतीय के लिए एक प्रकाश स्तंभ की तरह है जो ऊंचा ख्वाब देखते हैं और जो कि उन्हें अंधेरे को पार कर प्रकाश में भविष्य की तरफ ले जाने में प्रेरित करता है।