बिल गेट्स का मानना है कि यदि आप गरीब पैदा होते है तब इसमें आपकी कोई गलती नहीं है, लेकिन यदि आप गरीब मरते हैं तब यह आपकी ही गलती है।
यह महिला 1981 तक दिनभर सड़कों पर कूड़ा बिनने का काम करती थी जिसके बदले उन्हें दिनभर में ₹5 की कमाई हो जाती थी और इसी से उनका गुजारा होता था।
लेकिन आज ये करोड़ो की मालकिन है। हम बात कर रहे हैं मंजुला बघेल की। 2015 के आंकड़े के अनुसार उनकी कंपनी का टर्नओवर लगभग एक करोड़ रुपए का है और आज वो क्लीनर्स को-ऑपरेटिव की प्रमुख के रूप में काम करती हैं।
सही मायनों में उन्होंने फर्श से अर्श तक पहुंचने का काम किया है। आज उनकी संस्था के साथ 400 सदस्य जुड़े हुए हैं और काम कर रहे हैं। बता दें कि क्लीनर कोआपरेटिव गुजरात में 45 इंस्टिट्यूशन और सोसाइटीज की क्लीनिंग और हाउसकीपिंग की विश्वसनीय सुविधा प्रदान करने वाली एक संस्था है।
मंजुला कभी भी परिश्रम करने से नहीं घर घबराती थी, यही वजह है कि वह ₹5 से भी कम की कमाई करना शुरू की थी और इसके बाद भी वह हर सुबह जल्दी उठकर अपना काम शुरू करती थी।
वह अपने साथ एक बड़ा से थैला हाथ में के कर निकल पड़ती है और लोगों द्वारा फेंके गए कचरे को रिसाइकल मटेरियल में बदल देती हैं। वह सभी दुबारा इस्तेमाल की जा सकने वाली चीजों को उठाकर कबाड़ वाले को बेच देती हैं।
यह सब कुछ यूं ही चल रहा था लेकिन एक दिन मंजुला के जीवन में एक नई शुरुआत होती है उनकी मुलाकात सेल्फ एंप्लॉयड विमेंस एसोसिएशन के संस्थापक इला बेन भट्ट से होती है।
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वह 40 सदस्यों की एक स्त्री सौंदर्य सफाई उत्कर्ष महिला सेवा सहकारी मंडली लिमिटेड के निर्माण में मंजुला की बहुत मदद की। इस बिजनेस को खड़ा करना उनके लिए एक चुनौती थी, पर सबसे बड़ी चुनौती मंजुला के सामने उस वक्त आई जब उनके पति इस दुनिया से चल बसे।
उनका एक बेटा था लेकिन इस घटना से मंजुला अपने रास्ते से नही भटकी। जल्द ही मंजुला को सौंदर्य मंडली का पहला ग्राहक नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन का मिला। उन्होंने इंस्टीट्यूट घरों और राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के संगठनों को भी अपनी सेवाएं देना शुरू कर दिया।
गुजरात के इंटरनेशनल इवेंट वाइब्रेट की भी सफाई की सेवा उन्होंने दी है। उन्होंने कचरा इकट्ठा करने वाली सुंदर मंडली का एक लंबा सफर देखा।
आज लो लोग बहुत सारे आधुनिक उपकरणों और टेक्नोलॉजी का उपयोग करते हैं जैसे हाई जैक प्रेशर, माइक्रोफाइबर, मॉप्स, स्क्रैप्स, एक्सट्रैक्टर्स, फ्लोर क्लीनर, रोड क्लीनर आदि।
आज के समय मे तो बड़ी कंपनियों और संगठनों के लिए सफाई का काम और कंस्ट्रक्शन के लिए ई टेंडर इशु करती है। इसलिए उन्होंने अपने साथ काम करने के लिए उन लोगों को नौकरी पर रखा जिन्हें टेक्निकल नॉलेज हो, साथ ही वह अपने बेटे के बचपन का भी ध्यान रखती हैं, जिससे उनके बेटे का बचपन उन हालातों में न गुजरे जिन हालातों में उनका बचपन बीता है।
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वह आपने बेटे को मिडिल स्कूल में पढ़ाने के लिए पैसा जमा करती हैं। मंजुला और उनके बेटे को संघर्ष की अविश्वसनीय कहानी के लिए कॉलेज द्वारा भी सम्मानित किया जा चुका है।
मंजुला एक अभावग्रस्त पृष्ठभूमि से आई थी। कम उम्र में ही उनकी शादी कर दी गई और पति की मृत्यु के बाद घर संभालने की पूरी जिम्मेदारी मंजिला पर आ गई।
तब उन्होंने खुद का बिजनेस शुरू किया और अपने साथ ही अपने ही तरह की और महिलाओं की जिम्मेदारी उठाई और अपने बेटे की पढ़ाई का भी ध्यान रखा। आज उनका करोड़ों का बिजनेस है।
मंजुला की कहानी इस तथ्य को सही साबित करती हैं कि मुश्किलें अक्सर साधारण लोगों को असाधारण सफलता के लिए तैयार करने का काम करती है।
सही बात हमारे कर्म पर निर्भर कर्ता है सब कूछ