मानव में असीम शक्तियाँ है जरूरत है उनको पहचाने की व सही दिशा में कदम आगे बढ़ा कर चलने की , जिसने यह कार्य में लक्ष्य तय किया व उद्धत हुआ समझो उसने मानव जीवन को सही से समझ लिया।
मानव ने कितने – कितने आविष्कार किए है व सफलता कर वरण किया है । इंसान की उत्पत्ति ही अपने आप में एक सबसे बड़ा अजुबा है।भगवान ने इंसान की बड़ी अद्भुत रचना बनायी है। शरीर एक, पर उसके हर अंग का क़ार्य अलग अलग हैं।
दिमाग़- इंसान का दिमाग़ इतना शक्तिसाली होता है जिसकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते हैं। आज जो क़ार्य कम्प्यूटर कर रहा है उसकी देन भी एक इंसान ही है। इस रचनात्मक सोच से उसने हवाई जहाज बना दिए और हवा में उड़ा दिए।
जलयान बना कर पानी में चला दिए। सड़क पर सरपट मोटरकार दौड़ा दिए। इस तरह की सृजन की शक्तियाँ उसमें भरी पड़ी है और भी ना जाने कितने-कितने अविश्वसनीय अविष्कार भी इंसान की ही देन है।
आँखें – जिससे हम संसार को देखने का अनुभव कर सकते हैं अगर आँखों की रौशनी नहीं तो दिन रात अंधेरा ही नज़र आयेगा। नाक – नाक से हम साँस लेते हैं और गंध को भी महसूस कर सकते हैं।
साँसें आती है तो हम ज़िंदा हैं।वंहि जैसे ही इंसान की साँसें आनी बंद हुयी उधर उसकी मृत्यु। कान – कानो से हम बाहर की ध्वनि और एक दूसरे की बात सुन सकते हैं। जीभ – जीभ से हम स्वाद का अनुभव कर सकते हैं और ठंडे-गर्म का भी।
इस तरह अंत में मेरा यही कहना है कि एक इंसान की रचना और इंसान का हर हिस्सा ही अपने आप में एक आश्चर्य है , जरूरत है तो बस उनको सही से पहचानना व इस्तेमाल करने की , नहीं तो वे सब वरना अंदर ही दबी पड़ी रह जाएंगी।
प्रदीप छाजेड़
( बोरावड़ )
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