मानव का सबसे बड़ा धन प्रसन्न मन है पर छोटा हो या बड़ा आजकल आदमी आम बीमारी से ग्रस्त रहता है जिसे हम बोरियत कहते हैं । इसलिये किसी को प्रसन्न पाना और मस्त रहना बहुत दुर्लभ है पर यदि आदमी अपने को व्यस्त रखने के लिए बराबर कुछ न कुछ काम करता रहे तो उसके दिल में बोरियत कभी भी घर नहीं कर सकती हैं ।
आज कल लोग सिर्फ अपने बाहर की दुनिया को बेहतर बनाने में लगे हुए है पर उनके अंदर का आनंद यानि मन की दुनिया कैसी है उन्हें कोई खास फर्क नहीं पड़ता | दुनिया में इंसान दौलत और शोहरत इसलिए कमाता है ताकि वह ख़ुशी से एक शांतिपूर्वक आनंदमय जीवन जी सकें | मन की शांति पर भी ध्यान देना हर इंसान के लिए जरूरी है |
मन की शांति का सीधा सम्बन्ध मन में चल रहे विचारों से होता, इसलिए उनका सही होना बहुत जरूरी है | जीवन में अपने अगर ले आए हम शांति, तभी ला सकोगे दुनिया में एक नयी क्रांति |
मनुष्य को सुखमय जीवन व्यतीत करने के लिए कर्म करने की आवश्यकता पड़ती है, कर्मप्रधान व्यक्ति ही जीवन में वास्तविक सुख का आनंद प्राप्त कर सकता है |
अकर्मण्यता मनुष्य को निराश और भाग्यवादी बनाती है, मनुष्य के कर्म अनेक प्रकार के होते हैं, कुछ कर्म तो वह अनिच्छापूर्वक बाध्यता के साथ करता है परंतु मनोयोग से किया गया कृत्य ही उसे सच्चा आनंद प्राप्त कराता है|
इन समस्त क्रियाओं में अध्ययन सर्वश्रेष्ठ है, अतः अध्ययनप्रिय व्यक्ति स्वयं को सदैव प्रसन्नचित्त अनुभव करता है ।तभी तो कहा कि प्रसन्न मन असली जीवन धन है ।
प्रदीप छाजेड़
( बोरावड़ )
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