हमारे जीवन में परिस्थिति अच्छी, मन्दी आती रहती है। यह तो हरेक की जिन्दगी की कहानी है। उलझनें, समस्याएँ तो जिन्दगी का हिस्सा है।
यह तो हरेक की जिन्दगी का क़िस्सा है। निराशा से तो ये और उलझेंगी। सुलझेंगी तो संयत मन, सकारात्मक सोच से ही सुलझेंगी।
अतः हमें सदा मन बुलन्द और सोच सकारात्मक रखना चाहिए जिससे निराशाजनक भाव पास ही नहीं फटक सके । सृष्टि के कण-कण के प्रति हम अपनी कृतज्ञता ज्ञापित करें।
स्नेहमयी मधुर मुस्कान के साथ एक मौन संवाद स्थापित करें। जिन्दगी की सुखद बुनियाद हमारे अपने सात्विक कर्मों से जुङी है इसलिए हर पल सकारात्मक भावों से अपने आपको भावित करें।
हमें दुर्लभ मनुष्य जन्म मिला है। चाहे वह पूर्व जन्मों के शुभ कर्मों का कमल खिला है। इसे हमे नकारात्मकता से मलिन नहीं करना है सदा सकारात्मक ही सोचना , सकारात्मक ही बोलना , सकारात्मक ही बनना और सकारात्मक ही रहना हैं । जीवन एक बहती धारा है ।
इसका कोई भी किनारा नहीं है । जीवन में अविरल उतार चढ़ाव है तो निरंतर भाव अभाव है , सतत प्रतिभाव स्वभाव है जो अनवरत प्रवाहमान है ।
इन सभी अनुस्रोत प्रतिस्रोत से हमें आत्म स्वभाव में जाना है । जीवन के इस सकारात्मकता के मैदान में हमें कही भी किसी और की कमियां नजर नहीं आएगी और न ही हम अतिरिक्त स्वयं को समझेंगे। ‘ नो हीणे नो अइरीत्ते ‘ का भाव हो जायेगा भावित ।
प्रदीप छाजेड़
( बोरावड़ )
यह भी पढ़ें :-