सत्य ही शिव है शिव ही सुंदर है। सत्यम शिवम सुंदरम की बात भारतीय संस्कृति का महत्वपूर्ण अंग है। हमारा देश भारत विविधता में एकता को अपने में समायें हुए हैं ।
भारत ऋषि-मुनियों की धरती हैं । कई तीर्थंकरो ने व अन्य धर्म के गुरुओं ने इस धरा को पावन किया हैं । भारत की कला , संस्कृति आदि बेजोड़ हैं । भारत की शिक्षा का स्तर हर क्षेत्र में अग्रणी व उल्लेखनीय हैं ।
आज भारत क्षेत्र की विभिन्न प्रतिभाओं ने विश्व में अपना व देश का नाम रोशन किया हैं । अनेकों – अनेकों महापुरुषों ने भारत की धरा पर जन्म लेकर एक ऐसा विशाल व्यक्तित्व बनाया है जहाँ शिक्षा और अध्यात्म से उन्होंने अपने जीवन को बड़ा बनाया हैं ।
आंतरिक सौंदर्य का आधार नैतिक मूल्यों पर आस्था, मानवीय गुण ही है, उनका विकास होने से सौंदर्य भी निखर जाता हैं । सुंदरता वो नहीं जो आईने में दिखाई देती है, सुंदरता गुणों की होनी चाहिए जो दिल से महसूस की जाए।
आज भी गोरा रंग पसंद किया जाता है। बौद्धिक क्षमता , कार्य क्षमता के बदले शारीरिक आकर्षण देखा जाता है। बाहरी सुंदरता उम्र के साथ ढल जाती है , शरीर तो नाशवान है पर आन्तरिक सौंदर्य उम्र के साथ स्थाई रहता है ।
व्यक्ति अगर दुनिया में नहीं रहता है तो भी आंतरिक (सुंदरता )गुणों के बल पर सब के दिलों में राज करता है ।सब उसके कार्य को याद करते हैं । ऐसे महापुरुष सदियों में एक बार ही जन्म लेते हैं, जो अपने जीवन के बाद भी लोगो को निरंतर प्रेरित करने का कार्य करते हैं।
हम यदि उनके बताये गये मार्ग पर अमल करें, तो हम समाज से हर तरह की वैर – भावना और बुराई को दूर करने में सफल हो सकते हैं। अपने जीवन में तमाम विपत्तियों के बावजूद भी भगवान महावीर कभी सत्य के मार्ग से हटे नही और केवल ज्ञान प्राप्त कर जन – कल्याण का कार्य किया।
अपने इन्हीं विचारों से उन्होंने सबको प्रभावित किया तथा मोक्ष श्री का वरण किया था ।एक घटना प्रसंग – भगवान ऋषभदेव की पुत्री सुन्दरी का उत्कृष्ट उदाहरण हमारे सामने है ।
उनका जैसा बाह्य रूप था, उसकी शायद हम आज कल्पना भी नहीं कर सकते हैं लेकिन वो रूप जब उनकी दीक्षा में कुछ अंश तक बाधक बना तो उन्होंने चिन्तन किया कि बाह्य सुन्दरता आंतरिक सुन्दरता की प्राप्ति में बाधक बने उस बाह्य सुन्दरता से क्या प्रयोजन रखना ।
उन्होंने आयम्बिल तप शुरू किये । 60,000 वर्षों तक लगातार आयम्बिल तप करने के बाद उनके शरीर की ऐसी हालत हो गई कि वो पहचान में भी नहीं आती , बाद में उन्हें महाराज भरत से दीक्षा की अनुमति मिली ।
यह है बाह्य सौन्दर्य से आन्तरिक सौन्दर्य की तरफ प्रस्थान । 60,000 वर्षों तक दृढ़ संकल्प के साथ कठिन साधना , इसका परिणाम यह हुआ कि उसी भव में उनको मोक्ष की प्राप्ति हुई । भारत की माटी, गंगा जल आदि की हर दिल में कहानी बसी है ।
भारत की रंग-बिरंगी धरा , हर कण – कण में बसी है। वेदों की ध्वनि, ऋषियों की वाणी , तपस्वी – त्यागी पंच महाव्रत धारी साधु – साध्वी के पद भ्रमण आदि से यह संस्कृति महान हुई है ।यहाँ भक्ति-भावना, प्रेम-पुष्पों आदि की पावन पहचान है।
यहाँ ऊँची हिमालय की चोटी है तो सागरों में भी गहराई हैं । भारत देश में धरती का स्वर्ग की छटा अद्भुत सुंदर व निराली है। कश्मीर की कली खिलती, केरल की हरियाली, राजस्थान की मरूभूमि आदि – आदि सबकी बातें निराली हैं ।
यहाँ की फसलें अच्छी सोने के समान उपज देती है जिससे यहाँ का किसान महान हैं । यहाँ त्योहारों की मस्ती है तो सबकी मिठास में बसी मिठाईयाँ हैं ।
यहाँ अनेकता में एकता लिये भाषाओं का मेल है । यहाँ हर भाषा में , दिलों की मधुरता बसी हैं । यहाँ वीरों की भूमि, शूरवीरों की कहानी, त्याग, बलिदान, वीरता, आदि की हर दिल में निशानी बसती हैं । ऐसा हमारा प्यारा देश है । हम सब मिलकर इसे सजाएँ, यह हमारा कर्तव्य हैं ।
प्रदीप छाजेड़
( बोरावड़ )
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