मैंने पढ़ा सूना है कि विभिन्न गति के जीव मनुष्य जीवन के लिये उत्सुक रहते है क्योंकि मनुष्य गति ही ऐसी गति है जिससे जीव को उसी भव में मोक्ष प्राप्त हो सकता है जो अन्य गति में सम्भव नहीं हैं ।
इसलिये मैं यह कहूँ कि हम सौभाग्यशैली हैं कि हमको मनुष्य जीवन मिला है तो गलत नहीं होगा । हम सब चाहते हैं कि हमारे पास हो उम्दा चीज एक से एक और हमारा सब के साथ अच्छा व्यवहार हो ।
इन सब बातों के लिए जरा सोचें निम्न बिंदु जो हमारे सुचिन्तन का सिंधु खोल देंगे । जैसे किसी को भी बुरा-भला कहने से पहले जरा सोचें कि दुनिया में ऐसे भी लोग हैं जो बोल भी नहीं सकतै है ।
हम सौभाग्यशाली है कि बोल तो सकते हैं तो उस वाक् शक्ति का दुरूपयोग क्यों करें। अपने खाने के बारे में मीन-मेष निकलने से पहले एक क्षण ठहरें और सोच लें जरा कि दुनिया में ऐसे भी गरीब हैं जिन्हें दो जून का खाना भी नसीब नहीं हैं ।
अपनी जिंदगी के बारे में असंतोष प्रकट करने से पहले जरा चिन्तन कर लें कि दुनिया में ऐसे भी लोग थे जो हमारी आज की उम्र से पहले ही स्वर्ग सिधार गए।
गाड़ी चलाते-चलाते गंतव्य की दूरी के बारे में शिकायत करने से पहले जरा सोचें कि बहुतों के पास इतनी दूर जाने के लिए गाड़ी ही नहीं है।
आपके पास गाड़ी तो है। इस तरह किसी में कोई दोष निकालने से पहले जरा सोच लें क्या हम पूर्ण रूप से दूध के धोए हुए है ?
हमारे अन्दर कोई भी खोट या कोई भी दोष नहीं है । यदि हम प्राप्त ही प्रयाप्त की भावना रखते हैं व हर मौजूदा स्थिति को हम सकारात्मक रवैये से स्वीकार कर लेते हैं तो दु:ख कहीं से आ ही नहीं सकता हैं ।
हमारी सोच हमारे अपने ज्ञान पर निर्भर होती है । अपेक्षा हमेशा दुःख देती हैं इसलिए जैसा हम सोचेंगे वैसा पाएँगे वास्तविकता को स्वीकार-नकारात्मकता को रोके तो हर परिस्थिति में आनंद अपार होगा , सकारात्मक विचार ऊर्जा से भरे होंगे ।
बीते कल का अफ़सोस,वर्तमान की चिंता,आनेवाला कल कैसा इस बात का अफ़सोस नही तो कभी आत्मविश्वास नही डगमग़ायेग़ा ।
समय की परिवर्तनशीलता को स्वीकारने से ज़िंदगी बहुत ख़ुशनुमा बनती है ।अतः हम हर स्थिति , हर परिस्थिति जो भी आए जब भी आए जीवन में उसको सदैव स्वीकार करें |
प्रदीप छाजेड़
( बोरावड़ )
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