बर्फ़ शीतलता प्रदान करती है और अग्नि गर्मी।वैसे ही प्यार सभी को अच्छा लगता है धोंस नहीं। उसी तरह हम प्रेम से हर काम आसानी से करवा सकते हैं और सामने वाले को अपना बना सकते हैं।
ठीक वैसे ही इंसान अगर ताक़तवर है या ओहदे में बड़ा है तो वो धोंस से काम तो करवा लेगा पर सामने वाले व्यक्ति को कभी अपना नहीं बना पायेगा।
आपसी सौहार्द विनम्रतापूर्वक व्यवहार से होता है।विनय भाव बहुत बड़ा तप है निर्जरा का और हम सबमें सामंजस्यपूर्ण व्यवहार के लिए समर्पण भाव बहुत उपयोगी होता है।
अक्खड़पन से ,जबरदस्ती से कुछ काम शायद बन भी जाएं लेकिन टिकाऊपन नहीं हो सकता उसमें।हम अपने विनयपूर्ण सदाचरण से झुककर सबसे शीर्ष स्थान ,सबके हृदय में अपनी जगह बना लेते हैं।
जहां काम प्यार से होता है,वहां जबरदस्ती क्यों कि जाएं क्योंकि प्यार में बहुत बड़ी ताकत होती है और उसके मुल में विनम्रता होती है। विनम्रता स्नेह का सूक्ष्म पाश है, जिससे किसी को भी अपना बनाया जा सकता है।
विनय पूर्वक व्यवहार को सदाचरण में हम ला सकते है ,जिसे अपनाकर हम अपना आत्मकल्याण में आगे बढ़ सकते है और व्यवहारिक जगत में भी।
जब प्रेम और प्यार से किसी को जीता जा सकता है तो किसी के साथ ज़ोर ज़बरदस्ती क्यों। इस तरह दोस्ती, प्रेम-मोहब्बत, आशा-ओ-उम्मीद की पूर्ति, स्वास्थ्य और सेहत,खुश मिज़ाज स्वभाव व सबसे कीमती है वक्त आदि ये ही तो सेवाएँ है जो ख़रीदी नहीं कमाई जाती हैं।
प्रदीप छाजेड़
( बोरावड़ )
यह भी पढ़ें :-