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छोटी दीपावली : Chhoti Dipawali

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दीपावली पर्व खास महत्व का होता है । दीपावली पर्व से प्रेरणा लेकर हम अपने भीतर भी एक दीप ऐसा जलाएँ जिससे अज्ञान का तम मिटाकर ज्ञान का प्रकाश फैलाएँ। दीपोत्सव , प्रकाश का यह पर्व हर साल कार्तिक मास की अमावस्या के दिन मनाया जाता है ।

दीपावली महापर्व की शुरुआत धनतेरस से होती है और इसका अगला दिन रुप चौदस (छोटी दिपावली ) का होता है । इस दिन पूरा देश दीये को रोशनी से जगमगा उठता है । दिपावली पर्व को सुख-समृद्धि प्रदान करने वाला त्यौहार माना जाता है ।

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इस दिन धन की देवी मां लक्ष्मी और सुख-समृद्धि के देवता भगवान श्री गणेश की भी पूजा की जाती है । दीपोत्सव का यह पर्व पूरे पांच दिनों तक चलता है । शास्त्रों के अनुसार कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी को छोटी दीपावली के दिन श्रीकृष्ण ने राक्षस नरकासुर का वध किया था ।

यही वजह है इस दिन श्रीकृष्ण की पूजा की जाती है और कार्तिक अमावस्या पर यानि बड़ी दिपावली पर माता लक्ष्मी रात्रि में धरती पर आती हैं इसलिए इस दिन माता लक्ष्मी के स्वागत के लिए दीप जलाकर उनकी विधि वत पूजा की जाती है ।

कहते हैं इस दिन श्रीराम वनवास पूरा कर अयोध्या लौटे थे । अमावस्या होने से चारों ओर अंधेरा था ऐसे में भगवान राम के स्वागत में अयोध्यावासियों ने दीपक जलाए थे ।

यह दिन इतना प्रेरणास्पद है कि जगमगाते दीपों की तरह हम भी अपने भीतर एक दीप ज्ञान का ऐसा जलाएँ जिससे उत्तम चरित्र, पवित्र भावना हमारी ऐसी बने कि हमारी बुद्धि, चेतना और अंतर्मन भी रोशन हो जाए ।

वह हमको अपनी आत्मज्योति का मार्ग सुगमता से मिल जाये । इन्ही शुभ भावों के साथ आप सभी को छोटी दीपावली की हार्दिक शुभकामना एवं मंगलकामना ।

प्रदीप छाजेड़
( बोरावड़ )

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