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कैसे नासमझ हैं : How Foolish They Are

How Foolish They Are
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हम प्रायः कह देते है कि दुनिया मतलबी है लेकिन कभी हमने यह सोचा है कि इस दुनिया में हम लोग अलग है क्या ? हम भी यही रहते करते बोलते आदि है ।

सभी जानते हैं कि यह शरीर नश्वर है और आत्मा अमर है। हर आत्मा अपना समय पूर्ण होने पर इस संसार के रिश्ते-नाते यंहिं समाप्त करके अपने किये गये कर्मों के अनुसार अगला रूप धारण करती है , पर आज का यह गूढ़ प्रश्न कि इंसान मृत्यु से पूर्व जो जीवन जी रहा है उसके बारे में कोई चिंतन करता है क्या ?

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मुझे लगता है कि अधिकांश लोग इस जन्म की व्यवस्था और अपने परिवार वालों के भावी जीवन की चिंता में अपना पूरा जीवन समाप्त कर देते हैं।

इंसान सब कुछ जानते हुये भी अनजान बना रहता है कि कौन से ग़लत क़ार्य करने से पाप के क़र्म बंधते हैं और कौन से नेक क़ार्य करने से पुण्य कर्म अर्जित होते हैं।

जब इस संसार में जन्म लिया है तो इस बात का हर समय स्मरण रहे कि मुझे मनुष्य जन्म मिला है।मुझे अपना यह जीवन सात्विकता के साथ जीना है और जानते हुये कोई ऐसा ग़लत क़ार्य नहीं करना है जिससे पाप के कर्मों का बंधन हो।

हमें मालूम है कि दुनिया से विदा होते ही हमारे इस्तेमाल किए हुए सामान भी बाहर कर दिए जाते हैं परन्तु आध्यात्मिकता की जिंदगी जिए तो कोई भी इसे बाहर नहीं कर सकता क्योंकि यह जाने वाले के साथ ही जाती है ।

जैसे हम जन्मदिन पर खुशी मनाते हैं यह मालूम होते हुए भी कि अपनी जिंदगी के साल कम हो रहे हैं तो फिर मृत्यु नजदीक आती है तो दुख क्यों मनाते हैं क्योंकि हम बड़े तो होना चाहते हैं, सांसारिक सुख भोगना चाहते हैं आदि – आदि पर मृत्यु नहीं चाहते जबकि मृत्यु तो शाश्वत है पता नहीं किस रूप में कब, कहां आ जाए।

शरीर तो नश्वर है, फिर इतनी मोह माया क्यों? इस जीवन का सही से सदुपयोग करते हुए तन से, मन से, धन से जहां तक हो सके जरूरतमंद की मदद सेवा आदि हम करें तो इस जीवन की सार्थकता है ।

प्रदीप छाजेड़
( बोरावड़ )

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