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याद रखें कि : Yaad Rakhe Ki

Yaad Rakhe Ki
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हम जीवन में यह याद रखे कि दुःख, कष्ट और विपरीत परिस्थितियाँ आदि तो जीवन का अभिन्न अंग हैं। जितने दिन हमारा आयुष्य है यह कभी कम कभी अधिक हरदम वे हमारे संग रहेंगी ही रहेगी।

उनसे हम घबराएँ नहीं बल्कि समभाव से सहन करें । यह हमारे कबसे बँधे हुए कर्मों के उदय का परिणाम हैं जो अभी दहन हो रहे हैं ।

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मानव जीवन में अनेक बार कई ऐसी परिस्थितियां आती है जब मनुष्य समझ ही नहीं पाता की उसे किस तरह उस परिस्थिति का सामना करना है ।

परिस्थितिवश उत्पन्न स्थिति स्वयं में इतनी उलझी होती है की अगर सूझ बूझ और दूर दृष्टि का सहारा न लिया जाये तो निर्णय गलत होने की पूरी सम्भावना रहती है ।

अनेको बार छोटी छोटी बातें हमें गहरे तक प्रभावित करती हैं । ऐसी स्थिति उत्पन्न होने पर बेहतर तो यह है की हम शांति और धैर्य से उस परिस्थिति का विश्लेषण करें तथा उस स्थिति के पक्ष विपक्ष दोनों के बारे में सोंचे क्योंकि प्रत्येक स्थिति के दो पहलू होते है , एक अगर सकारात्मक है तो दूसरा नकारात्मक अवश्य होगा ।

जिस प्रकार रात के बाद सुबह होती है, उसी प्रकार दुख के बदल छट जाते है और खुशी के दिन आते हैं, रात दुख का प्रतीक है और दिन सुख का, जिस तरह पानी दो किनारों के बीच बहते हुए आगे बढ़ता है, उसी तरह जीवन में सुख और दुख दो किनारे हैं जीवन इन्ही के बीच चलता है।

अतः हमें परिस्थिति के गुण दोष के आधार पर निर्णय लेना चाहिए न की घबराकर कोई कदम उठाना चाहिए जिससे की हमारे पक्ष में होने वाली बात का भी विपरीत असर हो जाये ।

सबसे बड़ी बात हमें सही चिन्तन करके किसी भी विपरीत स्थिति में धैर्य , सहनशीलता और शांति आदि से निर्णय लेने की आदत डालनी चाहिए अगर ऐसा हुआ तो हम अपने जीवन में अवश्य सफल होंगे और मंजिल (विजय) जीत, सफलता आदि हमारें क़दमो में होगी।

प्रदीप छाजेड़
( बोरावड़ )

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