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बात गूढ़ अर्थ लिए हुए थी

बात गूढ़ अर्थ लिए हुए थी
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कई व्यक्ति बैठे दुनिया की बात कर रहे थे कि चारों तरफ अराजकता, अनैतिकता आदि फैल रही हैं और यहाँ तक कि परचून की दुकान वाले बनिया भी मिलावट करने लगे हैं आदि – आदि ।

तभी किसी एक ने कहा छोड़ो दुनियाभर की बातें पहले अपनी ओर ही तो देख लो जिसको तुम रोज आईने में देखते हो क्योंकि सही मायने में हमारा तो उसी से सरोकार है ।

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यह सुन वहाँ माहौल शान्त हो गया । कहते हैं कि जो हम दूसरों को देते हैं वैसा ही एक दिन वापिस लोट कर हमारे पास ज़रूर आता है।

यह बात बहुत सारे शास्त्रों में वर्णित है , पर जीवन में कभी एक लाचार,असहाय और ज़रूरत मंद इंसान को उचित समय मदद करते हैं तो अंक गणित के हिसाब से हमारे धन में कमी ज़रूर होती है , पर जब किसी को उचित समय पर पहुँचायी गयी मदद उस इंसान के जीवन जीने की आशा की किरण बनती है तो हमारा मन में अत्यधिक प्रफुल्लित होता है।

भगवान भी उसी को देता है जो बाँटता है।रोकड़ की गणित के हिसाब से जमा पुंजी एक बार कम हो सकती है पर हम साल के अंत में बेलेंसशिट देखेंगे तो वो पुंजी अधिक ही मिलेगी।

जीवन में जितनी ख़ुशियाँ बाँटोगे, दूसरों की ज़रूरत पर आर्थिक मदद करोगे,सामने वाला खुश ज़रूर होगा, पर उसको खुश देख कर आपकी ख़ुशियाँ अपार हो जायेगी।

बस हमारा नजरिया खुशी बांटने वाला हो। हमारा जीवन भी यही है कि सब के प्रति प्रेम + सहायता +प्यारी सी मुस्कुराहट + सकारात्मक सोच = मिलेगी खुशियां अपरंपार ।इस तरह यह बात सरल सी है पर गूढ़ अर्थ लिए हुए है जो ज़ेहन में गहरी बैठ जाये ।

प्रदीप छाजेड़
( बोरावड़ )

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