भाग-3
महिलाएं अपने घरों से बाहर निकलकर अलग-अलग क्षेत्रों और समाज में अपनी पहचान बना रही हैं। वह इसके अलावा, ऐसे कई क्षेत्र हैं जिन पर काम करने की ज़रूरत है, चाहे वह कन्या भ्रूण हत्या हो या महिलाओं को अभी भी कहीं- कहीं जगह घर के कामों तक सीमित रखना हो आदि – आदि ।
वह इसके अलावा, कई गैर सरकारी संगठन और सामाजिक समूह आदि – आदि महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए आगे आए हैं ।
हालाँकि, हमें समाज की मानसिकता बदलने के लिए और ज्यादा कड़ी मेहनत करनी होगी। मैं भारत को एक ऐसे देश के रूप में देखना चाहता हूँ जो महिलाओं को न कि बोझ के रूप में देखता है बल्कि वह उनको साथ ही अपनी संपत्ति के रूप में देखता है ।
मैं महिलाओं को पुरुषों के बराबर स्तर पर रखना चाहता हूँ। हम देखते है कि वैसे तो हमारे यहाँ सरकार शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए कई पहल कर रही है लेकिन अभी भी बहुत से लोग हैं जो इसके वास्तविक महत्व को नहीं समझ रहे है ।
हमारे स्वयं के व्यक्तित्व का विकास भारत के विकास में महत्वपूर्ण आयाम होगा । मेरे सपनों का भारत एक ऐसा देश होगा जहाँ शिक्षा सभी के लिए अनिवार्य होगी क्योंकि शिक्षा जीवन की अमूल्य धरोहर है ।
मैं चाहता हूँ कि मेरे सपनों के भारत में कोई अशिक्षित लोग ही न हों। मैं भारत में ऐसी शिक्षा प्रणाली लागू होते देखना चाहता हूँ जो हर व्यक्ति को जीविकोपार्जन का अवसर दे।
मैं अपने सपनों के भारत में यह चाहता हूँ कि मेरे देश के लोग शिक्षा के महत्व को समझें और अपने बच्चों को छोटी उम्र में ही नौकरियों आदि में काम करने भेजने के बजाय स्कूल जाने के लिए प्रोत्साहित करें।
वह उनके जीवन को सही दिशा प्रदान करे । वैसे तो भारत में बहुत से शिक्षित लोग हैं, शिक्षा का और विकास होगा तो देश में रोजगार के कई अवसर की उपलब्धता सुगम होती जाएगी ।
भारत देश में औद्योगिक विकास भी अच्छा हो रहा है जो आगे भी प्रगति करता रहे । इस तरह मेरे सपनों का भारत सदैव खुशहाल देश में समृद्ध होता रहे । यही हम सब के लिए काम्य है
प्रदीप छाजेड़
( बोरावड़ )
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