हम अपने जीवन में मनचाहे को भी स्वीकार करे तथा अनचाहे को भी स्वीकार करे । क्योंकि प्रवाहमान जीवन में कैसी भी स्थिति का आना स्वाभाविक है इसलिए हम सभी स्थितियों में समता के भावों को मन व चिंतन मे उतारे ।
अनुकूल व प्रतिकूल दोनों ही स्थितियों को अपने गले लगाना हैं ।खारी व मीठी हर तरह की दवा को बड़े उल्लास के साथ गटक जाना हैं ।
जो अपने जीवन में मान तथा अपमान दोनोँ ही परिस्थितियों को समान समझता है वह पथरीली राह में चलकर भी ना कभी थकता है और ना ही कभी सिसकता है ।
क्योंकि जिस प्रकार पतझड़ के बिना वृक्ष पर नए पत्ते नहीं आते हैं।उसी प्रकार संघर्ष और कठिनाइयों के बिना जीवन में अच्छे दिन नहीं आते हैं।
कठिनाइयों का अर्थ है आगे बढ़कर निडर होकर अपनी छुपी हुई शक्तियों को बाहर निकालना । जिसने इस अर्थ को सही से समझ कर , चुनौतियों का सामना कर, अपना कदम आगे बढ़ा दिये , उसी ने सबको अपना बना लिया ।
जब हमारा मन पॉज़िटिव होगा तब हमें दिव्यता का अनुभव होगा क्योंकि सकारात्मकता वह निर्मलता की निशानी है और मन की निर्मलता वही परम सुख है।
भगवान महावीर ने कहा है कि जो पॉज़िटिव रहेगा वही मोक्ष की और आगे बढ़ सकता है इसलिए नेगेटिविटी से बाहर निकलना अत्यंत आवश्यक है ।
अतः एक निराशावादी को हर अवसर में कठिनाई दिखाई देती है और एक आशावादी को हर कठिनाई में अवसर दिखाई देता है। कुशल मूर्तिकार के साथ से खिसते -खिसते एक पत्थर भी सही आकार में मूर्ति का रूप ले लेता हैं ।
माना कि जिंदगी जीना आसान नहीं होता हैं परन्तु बिना संघर्ष के कोई भी महान नहीं होता हैं ।जब तक न पडे हथौडे की चोट पत्थर पर तो पत्थर भी भगवान की मूर्ति का रूप या अन्य आकार नहीं ले पाता हैं ।
जिंदगी हमे् बहुत कुछ सिखाती है जो कभी हँसाती है कभी रूलाती है । जो हर हाल में खुश होते हें जिंदगी उनके आगे सर झुकाती है |
प्रदीप छाजेड़
( बोरावड़ )
यह भी पढ़ें :