आज हमारे जीवन में इतना ज्यादा रम गया है कि अगर हम कहें कि “बिन मोबाइल सब सून” तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होंगी। बड़े तो बड़े, छोटे बच्चे भी मोबाइल के इतने ज्यादा आदी हो गए हैं कि ऐसा लगता है जैसे बिना मोबाइल के तो जीवन ही बेकार है।
मुझे याद है जब हम छोटे बच्चे थे तब मां-पिताजी को अगर कहीं घर से बाहर जाना होता था तो वे बच्चों को बहला-फुसला कर जाते थे कि हम लोग आते समय आपके लिए आम या अन्य कोई खाने की चीज लेकर आएंगे और जो बच्चा शैतानी करेगा उसको चीज नहीं मिलेंगी। उस खाने की चीज के लालच में बच्चे वाकई में कोई बदमाशी नहीं करते थे।
आज अगर मां-बाप अपने बच्चों को कहें कि आप कोई शैतानी मत करना, आपके लिए फलानी चीज लेकर आएंगे तो बच्चे तुरन्त कह देते हैं कि मम्मी हमें कोई चीज नहीं चाहिए, आप तो बस अपना मोबाइल हमें दे जाइए।
इतना ही नहीं आजकल के शिशु अवस्था के बच्चे भी मोबाइल को इतना पसन्द करने लगे हैं कि रोते हुए बच्चों को यदि मोबाइल हाथ में पकड़ा दिया जाए तो वे तुरन्त चुप हो जाते हैं। मोबाइल जब से हमारे हाथों में आया है, तब से हमारे जीवन में उथल-पुथल मचाए हुए है।
सबसे ज्यादा पीड़ा तो इस बात की है कि इस मोबाइल ने परिवार में आपसी संवाद को बिल्कुल खत्म-सा कर दिया है। लोगों को अपनों के साथ बैठकर बात करने की फुर्सत ही नहीं है। फेसबुक पर भले ही हजारों की संख्या में फ्रेंड्स मिल जाएंगे लेकिन हकीकत की जिन्दगी में तो आजकल खून के रिश्तों में भी आपसी बोलचाल देखने को नहीं मिलती है।
ऐसा नहीं है कि मोबाइल में केवल दोष ही दोष भरे पड़े हैं। मोबाइल के अनेकोंनेक फ़ायदे हैं, इसीलिए तो आज के ज़माने में सबसे उपयोगी साधन बन चुका हैं। इंटरनेट के इस युग में मोबाइल के माध्यम से अब आपसी संवाद, लेन-देन व अन्य सैंकड़ों काम आसानी से होने लगे हैं। मोबाइल के जरिये आज विकास के नए-नए आयाम स्थापित हो रहे हैं।
देखा जाए तो आज मोबाइल जैसी छोटी-सी चीज़ में पूरी दुनियां सिमट कर रह गई है। यही कारण है कि अगर हमारा मोबाइल थोड़ा-सा भी बिगड़ जाए तो हम बहुत बेचैन हो उठते हैं, वर्ना आज से डेढ़ दशक पहले बिना मोबाइल के भी हमारा जीवन आसानी से चल रहा था।
आज मोबाइल के दुरूपयोग से हमारे सामाजिक व नैतिक मूल्यों पर विपरीत असर पड़ रहा है। देखने में आता है कि बहुत से बच्चे तो मोबाइल पर अश्लील साइटें देखने व सर्फिंग करने में ही दिन-रात लगे रहते हैं। सरकार को इस तरह की पोर्न व अश्लील साइटों पर तुरन्त रोक लगाने की आवश्यकता है।
मोबाइल के गलत इस्तेमाल से ही आपराधिक गतिविधियों में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। आएदिन कैसे-कैसे जघन्य अपराध देखने-सुनने को मिलते हैं, इसमें पाश्चात्य संस्कृति का बढ़ता प्रभाव तो है ही, थोड़ा-बहुत हाथ इस मोबाइल का भी है।
ऐसे में हम कह सकते हैं कि भारतीय जीवन में मोबाइल ने गहरा प्रभाव छोड़ा है, लेकिन हमारे सामाजिक वातावरण को दूषित करने का काम भी इसी मोबाइल ने किया है, जिससे समय रहते सतर्क होने की अवश्यकता महसूस होने लगी हैं।
बीएल भूरा
भाबरा जिला अलीराजपुर मध्यप्रदेश
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