अगर हमारे संस्कार अच्छे व पुष्ट है तो हम किसी के भी गलत बोलने या कहने सुनने से विचलित नहीं होते है । यह हमारा आचरण ही संस्कारों का परिचय देता है । आज प्रायः हर घर परिवार की चिंतनीय स्थिति है इसमें प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप में अहम भूमिका हम सबकी है।
समय रहते इस पर चिंतन की महत्वपूर्ण भूमिका की आवश्यकता है । यह बहुत मार्मिक और यथार्थ है हर घर परिवार की। अब तो जैसे पानी सिर से ऊपर चला गया हो वो स्थिति है, बड़े बुजुर्ग बच्चों के सामने मौन रहे तो ठीक है , नहीं तो 2 टुक बात तक ही नहीं , घर में हंगामा होने की स्थिति बन जाती है।
हमने अपने पांवों पर स्वयं कुल्हाड़ी चलाई है अपनी अज्ञानतावश या बाहरी परिवेश में बहकर।इसके बदतर परिणाम तो और भयावह होंगे। मौन ही सब बीमारियों की दवा है । ऐसा प्रतीत होता है।
आज हमको इस दर्दनाक स्थिति के चिंतन का जो प्रेणादायक त्यागी सन्तों के सन्देश है उस पर सबके सम्मुख बहुत विचार -विमर्श करने की अपेक्षा है । हम सबको और अपनी भूल सुधार की भी अपेक्षा है।
और जो होगा अच्छा ही होगा , इस बात पर गौर कर विधायक चिंतन से कुछ कर पाएं , वो करने का प्रयास करें अलबत्ता मौन रहें । संस्कार इंसान के सच्चे आभूषण है जिनसे उसकी शोभा बढ़ती है ।
बाहरी सौंदर्य श्रृंगार सजाने के आभूषणों की बाज़ार में कोई कमी नही लेकिन संस्कार से गुणों के सौंदर्य से खुद को सजाना है । ऊँचा होने का गुमान और छोटा होने का मलाल बेकार है।
कहते है कि पूरी दुनिया जीत सकते है हम संस्कार से और जीता हुआ भी हार जाते है।
बीएल भूरा
भाबरा जिला अलीराजपुर मध्यप्रदेश
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