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प्रिय वर्ष- २०२४ भाग-2

प्रिय वर्ष- २०२४ भाग-2
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जबकि इसे सफलता का प्रथम सोपान मान कर आगे बढ़ने वाले आशावादी, न केवल सफलता का सही से परचम लहराते हैं बल्कि अपनी अलग ही अनुकरणीय अमिट लीक खींच देते हैं।

हमारे जीवन में अकस्मात आई आपदा-विपदामय परिस्थितियों के अवतरण आदि-आदि हर बात से हमें नाना अनुभव क्षण-क्षण जीवन में मिलते ही तो रहते हैं। हमारे ज्ञान में वृद्धि कण-कण वे भी तो करते ही करते हैं ।

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हमारे जीवन में ज्ञान प्राप्ति अनुभव बटोरने की कला है , वह चाहे भला किसी भी स्रोत से आता हो। हमारे जीवन में हर ज्ञान हमारी रिक्तता का कोना भरता है ।वह चाहे अनंदित करने वाला स्रोत हो , चाहे कभी-कभी रोना आ जाता हो ।

अत: वही मानव मतिमान है जो अच्छी-बुरी हर परिस्थिति से ज्ञान बटोरता रहता है । हम साथ में चिन्तन कर एक तलपट बनायें कि हमारे द्वारा विगत वर्ष में दरअसल कितनों के संग संबंध सुधरे वह हमसे प्यारे कितने दूर हो गए ।

वह हमारे अहं भाव में इस बारह मास की कालावधि में किस-किस से हमारी किसी बात पर ठन गई। वह हम आगे की भी पूरा चिन्तन करके संकल्पबद्ध हो उसके लिए सूची बनायें कि हमको क्या कुछ करना है।

हमको चाहे कितनी ही बाधाएँ आयें हमें अपने प्रण पर दृढ़ रहना है। हमको केवल भौतिकता का ही चिन्तन नहीं करना है बल्कि आध्यात्मिकता में भी आगे बढ़ना है।

मानव जीवन एक संघर्ष की गाथा है, संघर्ष करते मनुष्य के सामने अनेक संकट आते है और उनमें सफलता भी मिलती है,जो लोग डर कर संघर्ष करना छोड़ देते है, तब संकट अधिक गहरा जाते है और उन पर विजय पाना कठिन हो जाता है, अतः हमको संकटों से घबराने की जरूरत नहीं, उनसे निपटने का सही से विचार दृढ़ संकल्पित करना चाहिए।

हमारे जीवन की बहुत लम्बी यात्रा होती है। हमारे मन में कभी असफलता का दुःख तो कभी अप्रत्याशित घटनाओं के कारण व्यथित होता रहता है। वह मन में बहुत कौशिश करने के बाद भी ना भुलाये जाने वाली दुःख भरी दास्तान हो जाती है जो जीवन में प्रगति और मानसिक शकुन में बाधक बन जाती है , जीवन में मिलने वाली सफलता व असफलता का वास्तव में कोई रूप नहीं है, यह तो मात्र अनुभव है,
( क्रमशः आगे)

प्रदीप छाजेड़
( बोरावड़)

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