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नेताजी सुभाष चंद्र बोस

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हम प्रेम, सहयोग ,सद्भाव, समर्पण एवं करुणा रुपी दान परिवार, समाज व देश के लिए करें तो मरणोपरांत के बाद भी याद आते हैं अपने लिए तो हर कोई सोचता है, अपना जीवन जीता हैं ।

पर किसी भी व्यक्ति के योगदान को मापने का दुनिया में कोई पैमाना नहीं है, मनुष्य की अच्छाई और सेवा भाव ही उसके बाद स्मरण रहती है।

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जो समाज के लिए सोचते हैं वे महापुरुष आज भी याद किए जाते हैं । उनमें नेताजी सुभाष चंद्र बोस एक थे । नेताजी सुभाष चंद्र बोस जैसे आदर्शवादी, प्रेरणादायक आदि गुणों से युक्त महापुरुष जिन्होंने निस्वार्थ भाव से समाज हित में अनेक कार्य किए एवं देश की सेवा की।

तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूँगा।उनके इस जोशीले नारे ने अनेक सेनानियों में ओज भरा। उनके अदम्य साहस से दुश्मन भी खूब डरा। वतन की खातिर जिसने अपना घर-संसार कुर्बान कर दिया । वीर सुभाष की यश गाथा से अनुपम इतिहास भरा पड़ा हैं।

अंग्रेजो के सरदर्द से उनको अज्ञातवास में रहना पड़ा । वो गुप्त रूप से आजादी का बिगुल बजा संचालित करते थे ।वीर सुभाष का अज्ञातवास दरबार राजस्थान राज्य में भी सजा था । वे राजपुताना के किशनगढ़ भामोलाव में आकर रहे थे ।

करमसोत राठौड़ गोकर्णसिंहजी के हवेली में सुभाष रहे थे। आजादी के परवाने सुभाष ने कहाँ – कहाँ कितने कितने डेरे किये थे ।अहिंसा से उन्होंने सबको अधिकार दिलाया।

वे अज्ञात वास में रहे ।मातृभूमि की आजादी ख़ातिर कितने – कितने कष्टों को उन्होंने सहन किया । गुप्त रहे गुमनाम हो गए देश पर जान लुटाई थी ।

भारत की आजादी में इस महान पुरुष का योगदान अपार है। एक शक्तिशाली, फ़ौलादी, निडर व्यक्तित्व। पूरा देश जिनका महान कृतित्व याद करता है ।

आज उनकी जन्म जयंती पर भारत माँ के उस वीर सपूत को , आजादी के वीर पूत को नमन है ।

प्रदीप छाजेड़
( बोरावड़)

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