दिवंगत शासन श्री मुनि श्री पृथ्वीराजजी स्वामी ( श्रीडुंगरगढ़ ) मुझे बात के प्रसंग में बोलते थे कि प्रदीप जीवन अपना है इसे हमे सही से जीना है ।
माना कि जीवन में परिस्थिति हमारे हाथ में नहीं है लेकिन परिस्थिति के साथ सही से सामंजस्य बैठाकर जीना हमारे हाथ में है जिससे हम हर परिस्थिति में प्रसन्न रह सके ।
यह कभी भी मत सोचो कि तेरा – मेरा सपना पूरा क्यों नहीं होता क्योंकि हिम्मत वालों का इरादा कभी अधूरा नहीं होता हैं ।
जिस इंसान के कर्म अच्छे होते हैं उनके जीवन में कभी अंधेरा नहीं होता हैं । अच्छा वक्त सिर्फ उसी का होता है जो हमेशा सकारात्मक व मनोबल के साथ सभी से पेश आते हैं |
जीवन है तों उतार – चढ़ाव तों आते ही रहेंगे, कुछ भी कितना भी नुकसान हों जायें और कोई कारण हो जाये हम अपना आत्मविश्वास न खोये, हम हर परिस्थिति में समता में रहें ।
अतः इसी इच्छा शक्ति (मनोबल) के बल पर अरुणिमा सिन्हा पाँव से विकलांग होते हुए भी एवरेस्ट तक पहुँच गई इस तरह हम देख लें कि हमारे सपने कितने बड़े हैं ? बस विचार करें और कुछ कर गुजरने का सही से जज्बा (आत्मविश्वास) जगाएँ ।
प्रकृति के अनुरूप स्वयं को ढ़ालने वाले,अपना अस्तित्व बचा लेते हैं और ऋतु परिवर्तन के नियम को जानने वाले,प्रतिकूलता को भी पचा लेते हैं ।
जिन्दगी सहज और खुशहाल तभी बन सकती है,जो हर परिस्थिति मे समय की नब्ज और नजाकत को समझ, अपने आशियाने को सजा लेते हैं।
जीवन में आ जाए कोई भी विपरीत परिस्थिति तो हम नकारात्मकता की REEL बन्द कर दे जिससे जीवन में आनन्द की सरिता बहेगी और उसमें स्व-कल्याण की स्थिति खोजें और खुश रहें, आनन्दित रहें।
प्रदीप छाजेड़
( बोरावड़ )
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