हमें हमेशा खुश रहना सीखना चाहिये ,लोगो को वही लोग पसंद आते हैं जो हमेशा खुश रहते हैं , क्योंकि लोग जब भी उदास होते है तो लोग उदास लोगों के पास जाना तक पसंद नही करते हैं।
लोग हमेशा खुश रहने वालों से ही मिलना पसंद करते है, अतः हमें खुश रहना सीखना होगा, खुश रहने वाले लोग दूसरों को तो पसन्द आते ही है बल्कि खुश रहना हमारी सेहत के लिए भी फायदेमंद होता है इसलिए हमेशा खुश रहैं, खुश रहने की स्थिति सिर्फ अभिनय ही नहीं दिल से खुश रहें। आपसी सौहार्द विनम्रतापूर्वक व्यवहार से होता है।
विनय भाव बहुत बड़ा तप है। निर्जरा का और हम सबमें सामंजस्यपूर्ण व्यवहार के लिए समर्पण भाव बहुत उपयोगी होता है।अक्खड़पन से ,जबरदस्ती से कुछ काम शायद बन भी जाएं, लेकिन टिकाऊपन नहीं हो सकता उसमें।
हम अपने विनयपूर्ण सदाचरण से झुककर सबसे शीर्ष स्थान ,सबके हृदय में अपनी जगह बना लेते हैं।किसी ने कहा जहां काम प्यार से होता है,वहां जबरदस्ती क्यों कि जाएं।प्यार में बहुत बड़ी ताकत होती है और उसके मुल में विनम्रता होती है।
विनम्रता स्नेह का सूक्ष्म पाश है,जिससे किसी को भी अपना बनाया जा सकता है।विनय पूर्वक व्यवहार को हमे अपने जीवन के सदाचरण में लाना है,जिसे अपनाकर हम अपने आत्मकल्याण में आगे बढ़ सकते है और व्यवहारिक जगत में भी। इसलिये कहा है कि अनगिनत शब्दों में से बहुत सी काम की बात निकल सकती है ।
प्रदीप छाजेड़
( बोरावड़ )
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