मानव को अपने जीवन में ऊँचा उठने के लिए अहं से दूर रहकर अधिकाधिक विनम्र होना चाहिये। सबसे बड़ी मानव की पूँजी है अहं से दूर रहना। जीवन में मैंने आज भी किसी दूसरे से बात कर अनुभव किया है कि मानव जो जमीन से ऊपर उठा है उसमें पैसा होकर भी अहं नहीं आता है।
इसके विपरीत हम कह देते हैं साधारण भाषा में पैसा हुआ है अभी अब यह कहाँ किसी को सही से समझेगा । सफलता के कितने ही शिखरों की ऊँचाई हो पर पैर धरती पर रहते हैं और अहं का दंभ नही केवल नम्र और विनम्र रहता है उस व्यक्ति के प्रति दुनिया में सब सदभाव रखते हैं। व्यक्ति जितना गुणवान होगा उतना ही विनम्रवान भी होगा। क्योंकि ज्ञान सरलता की ओर ही ले जाता है। व्यक्ति क्या है ?
ये किसी से कहने की, चिल्लाने की, प्रभाव दिखाने आदि की कोई जरुरत नहीं है। हम वास्तव में क्या है ? स्वभाव और सरलता ही बहुत है ये बताने के लिए। खुशबू को कितना भी छिपाओ वो छिपती नहीं हैं ।
जितना भी सृजन हुआ है वह टेढ़े लोगों से नहीं सीधों से ही हुआ है। कोई भी सीधा पेड़ कटता है तो लकड़ी भी भवन निर्माण में या भवन श्रृंगार में उसी की ही काम आती है। मंदिर में भी जिस शिला में से प्रभु का रूप प्रगट होता है वह टेढ़ी नहीं कोई सीधी शिला ही होती है। हमेशा ही जो व्यक्ति down to earth रहा है उसने सबके दिलों में जगह बनायी है ।
महलो मे रहकर भी दूर न रहते झोपडी से कृष्ण और सुदामा. राम और शबरी आदि कितने ही ऐसे महान व्यक्ति हुए है जिन्हे आदर से दुनिया याद करती हैं उनको धन से नही बल्कि उनकी Down to earth रहने की प्रवृत्ति ही सम्मानीय बनाती हैं ।इसके लिये अंग्रेजी में बहुत सटीक कहा गया है कि To Rise In Life One Must Be Down To Earth.
प्रदीप छाजेड़
( बोरावड़ )
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