आज के समय में हम देखते है बेटे बड़े होकर अपने पिता को अपने हिसाब से अच्छे से अच्छा उपहार देते है लेकिन बेटे यह क्यों भूल जाते है कि माँ – बाप को आपके द्वारा कीमती वस्तुओं से अच्छा उपहार उनके साथ में समय देना होता है ।
विशेष सौभाग्यशाली व गौरवान्वित होने की बात है,जिस घर में बुजुर्ग होते हैं, वो घर पूरी तरह सुरक्षित रहता है। बड़ों का तो घर में होना ही बहुत बड़ा सुरक्षा कवच होता है, निर्भयता होती है उस घर में।
किस्मत वाले होते हैं वे लोग जिनके सिर पर बुजुर्गों का हाथ होता है । कहने को सभी से यही सुनते आ रहे हैं, पर फिर भी समाज में बुजुर्ग आज के समय में एकांकी रहने को विवश है।
क्योंकि आज बच्चे अलग अलग शहरों में जीविका के कारण रह रहे हैं और दुनिया देख चुके अपने बड़े बुजुर्गों को दरकिनार कर आजकल के युवा अपने नए सोच से अपनी जिंदगी को सॅंवारना चाहते हैं परंतु उन्हें यह सोचना होगा कि वे भी इस अवस्था में जरूर आएंगे, तब उनके बच्चे भी आजादी चाहेंगे, वे भी उन्हें अपने परिवार में देखना पसंद नहीं करेंगे, क्योंकि वह बचपन से ही यही देखते आ रहे हैं।
युवाओं को अपना थोड़ा समय निकालना होगा और अपने बुजुर्गों को सम्मान देना होगा आखिर वे आज जो कुछ भी है अपने बुजुर्गों के कारण ही है।
साथ ही बुजुर्गों को भी आज के समय आज का समय और परिस्थितियों को देखते हुए बच्चों के विषय में सकारात्मक रुख अपनाना होगा।
हमें अपने एक स्वस्थ और मजबूत समाज की रचना के लिए अपने बुजुर्गों के मार्गदर्शन की आवश्यकता हमेशा रहेगी ।सही मायने में समय रूपी उपहार ही बेटे की गिफ़्ट पिताजी को होता है ।
प्रदीप छाजेड़
( बोरावड़)