भगवन! वो बचपन फिर से लौटा दो ना

भावनाओं का पुतला है आदमी। मुख्यतः भावना ही है जीवनचर्या का अमिय आधार। सारी प्रवृत्तियाँ, क्रियाएँ, प्रतिक्रियाएँ चलती हैं भावनाओं …

सफलता सार्वजनिक उत्सव तो असफलता व्यक्तिगत विप्पति

नतीजों को मिलते पुरस्कार, कोशिशें रहती गुमनाम। परिणामों पर ज़ोर देने से क्रमिक शिक्षा और सुधार का महत्त्व कम हो …