आकांक्षाओं के बोझ पालकर,क्यों हम इसे भारभूत बनायें ? हमें खुशियों के प्रवाह में बहते रहना है । आज हम …
प्रेरक विचार
प्रभु भक्ति में रमना : धुव्र-2
में आर्थिक तरकी तो खूब कर रहा है पर धर्ममाचरण में पिछड़ रहा है। हम जब अतीत में देखते हैं …
प्रभु भक्ति में रमना : धुव्र-1
यह कर्मों का चित्र सचमुच ही विचित्र है, कितने – कितने जन्मों के साथ का जुड़ा हुआ हमारे इस वर्तमान …
बेटियों का स्वावलंबी : खण्ड-2
चाहे बच्चा हो या पौधा अतिलाड प्यार व परवरिश से् वे तकलीफों को सहना नहीं जानते ।हक्के बक्के रह जाते …
बेटियों का स्वावलंबी : खण्ड-1
आज के समय में बेटियाँ बेटों के बराबर है या मैं कहूँ कि बेटियाँ बेटे से कम भी नहीं है …