हमारे जीवन-व्यवहार की सही लीक हैं चाणक्य के एक से एक सटीक वचन जो मन को छू लेते हैं। जो कर्मों से नहीं डरते हैं उनके लिए चाणक्य कहते हैं कि सुख दुःख मानव के साथ वैसे ही चलते है जैसे गाय का बझड़ा हजारो कि झुंड में भी उसके साथ रहता है ।
सुख और दुःख धूप-छाया की तरह सदा इंसान के साथ रहते हैं, लंबी जिन्दगी में खट्ठे-मीठे पदार्थों के समान दोनों का स्वाद चखना होता है, सुख-दुःख के सह-अस्तित्व को आज तक कोई मिटा नहीं सका है, जीवन की प्रतिमा को सुन्दर और सुसज्जित बनाने में सुख और दुःख आभूषण के समान है।
इस स्थिति में सुख से प्यार और दुःख से घृणा की मनोवृत्ति ही अनेक समस्याओं का कारण बनती है और इसी से जीवन उलझनभरा प्रतीत होता है, जरूरत है इनदोनों स्थितियों के बीच संतुलन स्थापित करने की, सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाने की।
अच्छे-बुरे कर्मों को भी उन्होंने समय के साथ जोड़कर यह कह दिया हैं कि समय जिसका साथ देता है वह बड़ों-बड़ों को मात देता है। हमारा जीवन हमेशा एक जैसा नहीं रहता है, सुख और दुख का आना-जाना लगा ही रहता है।
जिस प्रकार रात के बाद सुबह होती है, उसी प्रकार दुख के बदल छट जाते है और खुशी के दिन आते हैं, रात दुख का प्रतीक है और दिन सुख का, जिस तरह पानी दो किनारों के बीच बहते हुए आगे बढ़ता है, उसी तरह जीवन में सुख और दुख दो किनारे हैं जीवन इन्ही के बीच चलता है।
अतः हमें विपदाओं से कठिनाईयो से हार से हताश हुवें बिना, बिना रुके दुगुने उत्साह से अपनी मंजिल की तरफ कदम बढ़ाते रहना चाहिए, फिर देखें मंजिल (विजय) जीत,सफलता हमारें क़दमो में होगी। इस तरह और भी चाणक्य के सटीक वचन हमारे जीवन के पथ पर सहायक होते है ।
प्रदीप छाजेड़
( बोरावड़ )
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