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चिन्तन- सामाजिक समस्या व समाधान ध्रुव-3

सामाजिक समस्या व समाधान
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क्यूकिं चिन्ता का अतिरेक आदमी को, चिता तक पहुंचा देता है। वह जरूरत से अत्याधिक चिंतन बेकार में और ज्यादा समस्याएं पैदा करता है ।

हम कोई भी परिस्थिति हो हमेशा धैर्यपूर्वक विधायक चिंतन से उसका समाधान खोजने की सोचे। हमारे जीवन का समस्याओं से घनिष्ठ सम्बन्ध है इसीलिए ये हमारे पास आखिरी सॉंस तक कहीं न कहीं से आती ही रहती हैं ।

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वह प्रसन्नता की बात है कि समस्याओं में एक अहम संदेश है कि जीवन अभी मौजूद है । यह अलग बात है कि इससे परेशान होना मानव का जज़्बात है। शास्त्रज्ञ कहते हैं कि समस्याएं हमारे जीवन का प्रमुख अंग हैं।

यह कोई भी तरह की हो तो फिर हमको इनसे घबराने का क्या तुक है कि जब ये आवश्यक रूप से जीवन के संग है। यह बात बिल्कुल सही है कि हमको समस्याओं से घबराने की कोई बात नहीं बल्कि संयत रह कर उनका हल खोजते हुए जीवन पल – पल जीना चाहिए ।

इसका तात्पर्य यह है कि अतीत की भूलों का पश्चाताप हो और भविष्य की चिंता से मुक्त हर पल आनन्दमय हो यानी हम सही से वर्तमान में जियें, हर पल अमृत पीयें। हमारा दिमाग भी समस्याएं पैदा करता है और उनका समाधान भी दिमाग ही करता है ।

वह कोई मरकर भी जीता है तो कोई जिंदा रहते हुए भी अपने चिंतन ही से मरता है । हम यदि अपने चिंतन को सकारात्मक रक्खेंगे तभी तो इस जीवन को जीने का स्वाद चक्खेंगे वह समाज में सब साथ में मिलकर सही से आनंदित रहेंगे ।

इस तरह एक छोटा सा चिन्तन ये सब समस्याएं समाप्त कर सकता है कि सामने वाला नहीं गलत है सिर्फ उसकी सोच हमसे अलग है। इस एक छोटे से चिन्तन से समाज में सब कलह समाप्त और वातावरण में ज़मीन आसमान का फर्क आ जाएगा ।

वह हमको लगेगा की किसी जगह यदि स्वर्ग है तो यही जगह स्वर्ग है। इस तरह समाज की कभी भी आने वाली ज्वलंत समस्याएं भी हमको आसान लगेगी वह उसका समाधान हमारे सामने होगा ।

प्रदीप छाजेड़
( बोरावड़)

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