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विज्ञान की देन – ध्रुव-1

विज्ञान का देन
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हम हर वर्ष 28 फ़रवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाते है । यह दिन हमारे जीवन में विज्ञान के प्रति चिन्तन को सही से आगे बढ़ने को सकारात्मकता से ओत- प्रोत भी करता है ।

वह इस दिन को भारतीय भौतिक विज्ञानी सर चंद्रशेखर वेंकट रमन (सीवी रमन) की खोज रमन प्रभाव के भी उपलक्ष्य में मनाया जाता है ।

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हमारे द्वारा इस दिन को मनाने का मकसद या औचित्य वैज्ञानिकों के योगदान को स्मरण कर सही से समझ विज्ञान के प्रति निरंतर सकारात्मकता से जागरूकता को बढ़ाना है ।

हमारा जीवन विज्ञान,विश्वास और Common Sense तीनों के सहअस्तित्व से चलता है । वह इस दिन को मनाने के लिए कई तरह के कार्यक्रम आदि भी आयोजित किए जाते है ।

जैसे – विज्ञान परियोजनाओं का प्रदर्शन, शोध प्रदर्शन, विज्ञान फ़िल्मों की प्रदर्शनी, व्याख्यान, प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिताएं, वाद-विवाद, और रात्रि आकाश का अवलोकन आदि – आदि शामिल हैं ।

राष्ट्रीय विज्ञान संग्रहालय परिषद के अंतर्गत आने वाले सभी विज्ञान केंद्र इस दिन को मनाते हैं । हमारे द्वारा बोलने वाली भाषा एक कला और विज्ञान है जो सिर्फ मनुष्य के पास है ।

वह कब,कैसे, कहाँ,कितना बोलना यह विशेष ज्ञान है ।यह विज्ञान सिद्ध है कि हमारी मानसिकता के प्रकंपन बहुत ही शक्तिशाली होते हैं। हमारी मानसिकता ही गहन चिन्तन में परिवर्तित होकर हमारे कृत्यों में परिलक्षित होती है ।

हमारे कृत्य हमारे चिन्तन से उत्पन्न प्रकंपनों के स्पंदनों को लिए हुए होते हैं इसीलिए तो कहा जाता है कि आदमी स्वयं ही अपने कृत्यों जन्मदाता है यथा हमारी शुभकामनाओं या दुर्भावनाओं की भाव- तरंगें प्रेषित होकर वह हमारी सोच के लक्षित प्राप्तकर्ताओं को रहती हैं ।

अत: हम सदा पवित्र व शुभ विचारों के ही वांछित स्पंदन उत्पन्न करें ।वह स्पंदन शान्ति व प्यार के तथा विश्व परिवार के कल्याण के हो । मैंने मेरे जीवन में देखा , समझा व अनुभव किया है कि विज्ञान हमको आगे से आगे बढ़ने को प्रेरित भी करता है ।
क्रमशः आगे ।

प्रदीप छाजेड़
( बोरावड़)

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