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Control Less Trust More : नियंत्रण कम भरोसा अधिक

Control Less Trust More
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हम साधारणतया देखते है कि हम सबकी सोच होती है की हमारे नियंत्रण में हर स्थिति व परिस्थिति हो लेकिन व्यवहार में यह
बहुत मुश्किल होता है इसके लिये हम प्रयत्नशील भी रहते है जो सुखदायी नहीं होता है।

कहते है की परिस्थिति हमारे कर्म अनुसार होती है उसमे हमारा नियंत्रण नहीं होता है लेकिन किसी भी स्थिति को समता से हम सहन कर आगे बढ़ सकते है। हमारी जीवन यात्रा के दौरान कई ऐसे प्रसंग घटित होते हैं कि हमारा सुख-चैन समाप्त हो जाता है जो पास में है उसका सुख भोगने के बजाय जो अप्रिय घटित हुआ उसी तरफ़ हमारा मन बार-बार जाता है और हम व्यथित होने लगते हैं।

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मुझे किसी महापुरुष ने काफ़ी अरसे पहले कहा था कि अगर तुम्हारा किसी ने कुछ हड़प लिया तो ग़म मत करो अगर तुम्हारा है तो वापिस तुम्हें मिल जायेगा और नहीं तो उसको भूल जाओ और जीवन में और आगे बढ़ने की सोचो।

वैसे अगर किसी ने हम्हें चुभती बात कह दी तो दिल से ना लगाओ क्योंकि जिसके पास जो होगा वो ही देगा। उस जगह आप यह सोचो कि अगर हमारी कोई कमी है तो उसे सुधारें और नहीं तो उसे प्रेरणा स्वरूप मान कर आगे बढ़ें।

कभी-कभी इंसान को असाध्य रोग लग जाता है उस समय मन में यही सोचो कि मेरे करम कट रहे हैं जब मैंने कोई करम बांधे हैं तो काटने मुझे ही हैं चाहे हंस कर काटो या रो कर यह निर्णय हम्हें करना है। इसीलिए अनुभवियों का कथन है कि नियंत्रण कम भरोसा अधिक से कोशिश कर जीवन जिया जाये तो हम अपने जीवन को अच्छा सुन्दर जी सकते है ।

प्रदीप छाजेड़
( बोरावड़ )

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