मन मन्दिर में आओ , धरूं निरंतर ध्यान जय महावीर भगवान । धनतेरस की मंगलकामनाएं !
भगवान महावीर ने कार्तिक वदी ( कृष्ण पक्ष ) तेरस को आखिरी बार उपवास शुरू किया था और बेले के वाद उनका निर्वाण हुआ |
धनतेरस दो शब्दों से मिलकर बना है। धन’धन’ को दर्शाता है और ‘तेरस’ कृष्ण पक्ष के तेरहवें दिन को दर्शाता है। इस दिन पूजा के दौरान देवी लक्ष्मी, गणेश, धन्वंतरि और भगवान कुबेर की पूजा की जाती है।
देवी सरस्वती, देवी महा लक्ष्मी और देवी महा काली, देवी लक्ष्मी के विभिन्न रूप हैं जिनकी पूजा के दौरान पूजा की जाती है। आदिकाल से धन (संपदा) के अनेक रूप रहे है ।
अलग -अलग काल मे धन का रूपांतरण होता रहा है । एक समय मे धर्म और मन वचन काया को धन प्रधान माना गया । एक समय मे अस्त्र शस्त्र, धातु, को धन माना गया ।
एक समय मे कृषि, अनाज एवं पालतु पशु को धन माना गया । कुछ अर्से पूर्व निरोगी काया को धन माना गया और करीब -करीब 100- 150 वर्ष पूर्व से Barter system (वस्तुविनिमय) के स्थान पर रुपयों का चलन शुरू हुआ तब से अब तक धन के रूप चल – अचल सम्पति (जमीन जायदाद, सोना चांदी, और सिक्को) को धन प्रधान माना गया ।
धन तेरस पर हमको चयन करना है कि हमारे लिये धन कौनसा है- धर्म, निरोगी काया, अनाज, स्वास्थ्य, मन वचन काया या पैसा ? ऐसे परम धन की प्राप्ति हो।
जब कोई बेटा या बेटी ये कहे कि मेरे माँ बाप ही मेरे भगवान् है ये धन है ।जब कोई माँ बाप अपने बच्चों के लिए ये कहे कि ये हमारे कलेजे की कोर हैं ये धन है ।
शादी के 20 साल बाद भी अगर पति पत्नी एक दूसरे के साथ स्नेह से रहे ये धन है । कोई सास अपनी बहु के लिए कहे कि ये मेरी बहु नहीं बेटी है और कोई बहु अपनी सास के लिए कहे कि ये मेरी सास नहीं मेरी माँ है ये धन है ।
जिस घर में बड़ो को मान और छोटो को प्यार भरी नज़रो से देखा जाता है ये धन है । जब कोई अतिथि कुछ दिन आपके घर रहने के पश्चात जाते समय दिल से कहे की आपका घर ,घर नहीं मंदिर है ये धन है । इन्ही शुभ भावों के साथ आप सभीको धन तेरस की हार्दिक शुभकामना एवं मंगलकामना ।
प्रदीप छाजेड़
( बोरावड़ )
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