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हारिये न हिम्मत : खण्ड-1

don't lose courage
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आज के समय में मैं देखता हूँ कि हिम्मत को जिसने रखा उसने सदैव अपने जीवन में सभी चुनौतियों से पार कर सफलता का वरण किया है । रोशनी ने हमेशा ही,अंधेरे के घमंड को, दम-खम को तोङा है।

शरीर से भी ज्यादा ताकतवर मन का बेलगाम घोङा होता है।अतः जरूरी है कि हम अभय की चेतना का विकाश, डर से मुक्ति के लिए करे क्योंकि साहस के चाबुक ने ही तो,भय के भूत को हमेशा खदेड़ा है।

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वो जीवन ही क्या जिसमें उतार-चढ़ाव ना आये।हम जब प्रतिकूल समय का सामना करेंग़े और उस दर्द को सहने की हिम्मत जुटायेंगे तब ही अनुकूल समय की ख़ुशियाँ महसूस कर पायेंगे। हमारे इस जीवन में हर वस्तु परिवर्तन शील है।

पानी वो ही होता है पर फ्रिज़र में रख देंगे तो बर्फ़ बन जाती है और फ़्रीज़ के बाहर रख देंगे तो वापिस पानी हो जाता है । भगवान ने मनुष्य को वो समझ दी है कि जब समय विपरीत हो तो थोड़ा संयम धारण करे।

हम मन में यही चिंतन करे कि जब एक दिन उदय होने से लेकर वापिस दूसरे दिन उदय तक कितने पहर देखता है ठीक वैसे ही जीवन में बदलाव आये तो यही चिंतन रहे कि यह भी स्थायी नहीं रहेगा।

हर अमावस्य की घोर अंधेरी रात आयी है तो कुछ दिनो बाद पूनम की चाँदनी भी हमको दिखायी देगी। हमारा यह मनुष्य जीवन सदैव सफलता तथा असफलता का एक संगम स्थल है ।

हमारे जीवन में अगर आज समस्याओं से भरा है तो कल समाधान से परिपूर्ण भी है । हमारा जीवन संयोगों व वियोगों का एक मेला है पर इस मेले में भी आदमी सदा अकेला रहता है इसलिए यह जरूरी है कि हम सच्चाई का सम्यक साक्षात्कार करे
क्रमशः आगे ।

प्रदीप छाजेड़
( बोरावड़)

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