हाई स्कूल और इंटरमीडिएट का परीक्षा परिणाम आया। सभी उत्तीर्ण विद्यार्थियों को दिल से शुभकामनाएं प्रेषित करती हूं, परन्तु परीक्षा परिणाम ने कहीं न कहीं समाजसेवी होने के नाते मुझे चिंतित भी किया है।
आप सभी सोच रहे होंगे आखिर परिणाम अच्छे हैं तो इसमें चिंता का विषय क्या है। मेरी चिंता उन सभी बच्चों के भविष्य से जुड़ी है जो आज प्रदेश स्तर पर,जिले स्तर पर, टॉपर की श्रेणी में आए हैं, केवल वही बच्चे ही नहीं अपितु उन सभी बच्चों की भी चिंता है जो कहीं न कहीं पीछे भी रह जाते हैं।
मेरी चिंता भारत और यहां के प्रदेशों में दी जा रही शिक्षा व्यवस्था से जुड़ी है। क्या वाकई में सभी स्कूल जो आज अपनी एक बड़ी शाख रखते हैं,वास्तव में उनमें शिक्षा का स्तर उतना बेहतरीन है या फिर ढोल के अंदर पोल है।
कुछ स्कूलों के बारे में सुना है कि बच्चों को वहां पूरी की पूरी कॉपी बोर्ड पेपर में लिखवाई जाती है मेरा प्रश्न है उन स्कूल के प्रबंधकों और शिक्षकों से कि क्या आप बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ नहीं कर रहे हैं।
कुछ स्कूलों के नकल सिस्टम की वजह से उन बच्चों के साथ भी अन्याय हो रहा जो अपनी मेहनत से बहुत अच्छे अंक प्राप्त करते हैं किंतु वरीयता क्रम में पीछे रह जाते हैं।
जो बच्चे आज इस तरह परीक्षा देकर उत्तीर्ण होते हैं क्या वो भविष्य में बेहतर नैतिक मूल्यों को जीवन में धारण कर पाएंगे? क्या वो बेहतर सिविल सर्वेंट्स,बेहतर डॉक्टर इंजीनियर बन पाएंगे?
उनके मानस पटल और उनके जीवन में कैसे नैतिक मूल्य विकसित होंगे? और क्या वो किसी भी ऐसी परीक्षा जो राष्ट्रीय स्तर पर होती है उसमें उत्तीर्ण होने हेतु मेहनत करने को सज्ज हो पाएंगे? हाई स्कूल इंटर ही आगे की पढ़ाई की नींव होती है जब नींव ही मजबूत नहीं होगी तो क्या उनके कंधों पर देश का बेहतर भविष्य खड़ा हो पाएगा।
मुझे लगता है कि सरकार और प्रशासन को ऐसे स्कूलों के विषय में संज्ञान लेना चाहिए जो इस तरह के कार्यों में लिप्त होकर बच्चों के भविष्य को अंधकारमय करते हैं।
उन सभी स्कूलों और बच्चों को मैं दिल से बधाई देती हूं जिन्होंने ईमानदारी पूर्वक परीक्षा देकर बेहतरीन प्रदर्शन किया है। ईश्वर से प्रार्थना है कि मेहनत करने वाले बच्चों का भविष्य उज्ज्वल हो वो देश के उच्च से उच्च पदों पर जाकर देश के विकास में भागीदारी सुनिश्चित करें।
“अंजलि श्रीवास्तव अनु “
सीतापुर
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