हम वर्तमान परिप्रेक्ष्य में भारत की शैक्षणिक स्तर को देखे तो भारत की शिक्षा का हर जगह मान – सम्मान बढ़ा हैं एवं इसकी गहराई में मैं जाऊँ तो भारत की शिक्षा का लौहा पूरे विश्व मेंअपना परचम लहरा रहा हैं फिर भी इसमें और अपेक्षित सुधार की आवश्यकता हैं ।
आचार्य महाप्रज्ञ ने कहा- मैं कहता हूं कि मैं राम,कृष्ण, महावीर,बुद्ध नहीं हूं। मैं अज्ञान को दूर कर ज्ञान का प्रकाश फैलाने की कोशिश करता हूं। शक्ति से संकल्प की सिद्धी प्राप्त की जा सकती है ।
शक्ति यानी बल । बल चार प्रकार के बताए गए हैं । तन बल , धन बल , वचन बल और आत्मबल । सब का अपना अपना महत्व होता है पर आत्मबल सर्वोपरि होता है । शिक्षा का उद्देश्य स्पष्ट हो क्योंकि शिक्षा ग्रहण कर ही उसके आचरण से हम हमारा जीवन जीते है।
शिक्षा से बढ़कर कोई धन नहीं है। शिक्षा का उद्देश्य सिर्फ और सिर्फ हमारी संस्कृति का शैक्षणिक स्तर अच्छा करना है। शिक्षा का उद्देश्य मानव जीवन का संपूर्ण विकास का अच्छा साधन है ।
शिक्षा से मानवता का विकास होता है। शिक्षा मानव जीवन के लिए जरूरी है। जो उसे ज्ञानी बनाती है व आगे बेहतर समाज का निर्माण करती है। शिक्षा मनुष्य के जीवन का मार्ग प्रशस्त करती है । शिक्षा से कितने – कितने सामाजिक बदलाव हम ला सकते है।
शिक्षा लक्ष्य प्राप्ति का उत्तम साधन है लेकिन शिक्षा का उद्देश्य मात्र शिक्षित होना ही नहीं होता बल्कि शिक्षा के कई अन्य मकसद होते है। शिक्षा व्यक्ति के भीतरी शक्तियों का विकास है जो बच्चों के भीतर सही अच्छे विचार विकसित करता है।
शिक्षा से मस्तिष्क का भी विकास होता है। शिक्षा का उद्देश्य अच्छी शिक्षा ग्रहण कर एक अच्छे चरित्र का निर्माण करना है।शिक्षा उज्जवल भविष्य व अच्छा समाज बनाने में मदद करती है। शिक्षा से सही कौशल और हुनर से सुख समृद्धि प्राप्त होती है।
बिना शिक्षा के अनचाही भेद रेखा जैसे बड़ा- छोटा, ऊंच- नीच आदि जैसी अनेक भिन्नता निर्माण कर जाती है। ऐसे में शिक्षा का महत्व देखते हुए शिक्षा कि जन – जन तक सुलभ पहुँच हो ।
इसको फैलाने के लिए तीव्र प्रयासो की आवश्यकता है ताकि भारत का हर नागरिक शिक्षित हो। इसके लिए जरूरी कदम उठाने भी चाहिये । आज भी आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के बच्चे करियर बनाने के लिए जिस क्षेत्र में जाना चाहते है वो वहाँ तक नहीं पहुँच पा रहे है ।
शिक्षा का उद्देश्य उन्नति और विकास आदि करना है। हमें हमारी संस्कृति को बचाना होगा और गाँव में निशुल्क बच्चों को पढाना होगा ताकि गाँव का हर बच्चा शिक्षित हो सके और कोई भी शिक्षा से वंचित नहीं हों यह मिलकर प्रयास भी होने चाहिए ।
शिक्षा का उद्देश्य केवल ज्ञान और संस्कृति अलंकृत करना नहीं है बल्कि जीवन के विकास व सक्षम हो खडे होने के लिए व्यवसायिक भी साथ में उद्देश्य हो ताकि रोटी, कपड़ा और मकान आगे आदमी शिक्षा प्राप्त कर सुलभता से प्राप्त कर सके। शिक्षा प्राप्त कर नौकरी करे और अपने परिवार का भरण- पोषण कर सके आदि – आदि तभी हमारा देश पूर्ण रूप से सुशिक्षित राष्ट्र कहलायेगा।
प्रदीप छाजेड़
( बोरावड़ )
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