एक घटना प्रसंग एक व्यक्ति ने दूसरे व्यक्ति को जान बुझकर छेड़ने के हिसाब से कहा तुम कितने बीमार हो कैसे होगा तुम्हारा व परिवार सबका आगे का जीवन तो दूसरे व्यक्ति से रहा नहीं गया उसने कहा कि मैं सुखी हूँ क्योंकि आदमी होकर भी सुखी नहीं होता तो मैं आराम से सुखी हूँ सही हूँ क्योंकि मेरे को गलत करना नहीं है जो करना है सही करना है इसका परिणाम भले देर से मिले लेकिन सही व अच्छा आता है ।
हम समय को बांधकर नहीं रख सकते, वर्तमानकाल एक समय का होता है,बीत जाता है पर अपने साथ बहुत सी सुखद और दुःखद विस्मृति छोड़ जाता है। हम दुःखद से घबराएं नहीं, सबक लेकर उत्साह के साथ आगे बढ़े और सुखद स्मृतियों को संजोकर आगे बढ़े।
उम्र के हर पड़ाव हमें कुछ खट्टी-मीठी यादें देकर जाते हैं,हम दोनों में अपने सही दृष्टिकोण का संतुलन बैठाकर अपने जीवन को हर मोड़ पर सफल बनाने का प्रयास करें, समझदार आदमी परिस्थितियों के सामने घुटने टेकने की बजाय उसे वरदान मानकर सफल जीवन जीता है।
समय बीतने के बाद वापस नहीं आता लेकिन हमारे हाथ मे है कि हम उन लम्हों की यादों को खुशनुमा बनाकर ताउम्र सदाबहार रह सकते हैं। हम सौभग्यशाली है कि हमारे पास गुरू महात्मा आदि है वह मेधावी पारस है ,जो अपने जैसा पारस बना दें हमको ।
अतः समस्याओ से घबराकर एवं भयभीत होकर भागने वालों के लिये समस्याएं बढ़ती ही जाती है, हम विषम परिस्थिति में भी सम रहते हुवें, हर पल मुस्कराते रहना चाहिए क्योंकि दुनिया का हर इंसान खिले चेहरो एवं खिले फूल को ही पसंद करते है ।
कहने का तात्पर्य यह है कि किसी भी परिस्थिति से आदमी मायूस भी हो सकता है और हास्य का पिटारा खोलकर रक्त-प्रवाह भी बढ़ा सकता है । यह सब तो आदमी के मूड पर निर्भर करता है।
प्रदीप छाजेड़
( बोरावड़ )
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