जब बच्चे छोटे है उसके बाद वह धीरे- धीरे विकास कर आगे बढ़ते है तो स्कूल जाते है । वह स्कूल जाने के बाद बच्चे एक से दूसरी कक्षा में जाने के लिए लिखित में या विषय के हिसाब से मौखिक आदि रूप में प्रश्नों का उतर देते है ।
यह समय ही परीक्षा का होता है जब आगे से आगे उन्नति के सुअवसर प्राप्त करने को जीवन की दिशा निर्धारित होती रहती है ।मैं इसको जीवन का विकास का क्रम कहूँ तो अतिशयोक्ति नहीं होगी ।
हम अपने जीवन में जैसे कोई भी कार्य के परिणाम की प्राप्ति के लिए आगे बढ़ उस हेतु प्रयास करते है तो परिणाम आने के बीच का समय हो सकता है कि हमको उस समय कितना कठिन दौर से गुजरना पड़ जायें तो वह समय को मैं जीवन के विकास का सही चिन्तन का क्रम कहूँ या जीवन की परीक्षा आदि कहूँ तो अतिशयोक्ति नहीं होगी ।
मनुष्य जीवन धारण करके हमको आगे कर्म-पथ से कभी विचलित नहीं होना चाहिए ,विघ्नबाधाओं की, सफलता-असफलता की तथा हानि-लाभ की चिंता आदि किए बिना हम कर्तव्य के मार्ग पर चलते रहें । वह इसमें जो आनंद एवं उत्साह है, उसमें ही जीवन की सार्थकता है ।
इसमें कोई शक नहीं कि असफलता सदा दु:ख देती है, किन्तु इस दुनिया में शायद ही ऐसा कोई व्यक्ति हो जिसे हार का सामना न करना पड़ा हो, अतः हम असफलताओं को पार करके ही सही से सफलता को प्राप्त कर सकते हैं। मैंने मेरे जीवन में देखा है वह अभी भी मुझे कितने लोग बोलते है कि परीक्षा आ गई तो समझों हमारा खाना पीना सोना- उठना आदि – आदि सब छूट गया ।
हम यह भी देखते है कि कोई – कोई को परीक्षा शब्द के नाम से ही तनाव आ जाता है वह तनाव से कभी – कभी कोई गलत करने के लिए उत्सुक हो जातें है वह गलत कर देते है। यह चिन्तन को हम नहीं अपना सही से सही सोंच व चिन्तन से आगे बढ़ने को प्रेरित होते रहे ।
हमारे जीवन के विकास का टेस्ट परीक्षा है । हम परीक्षा को सही से सकारात्मकता में रख अपने जीवन में ले वह जीवन के विकास में आगे बढ़ने को उन्मुख होते रहें ।
हम अपने जीवन की परीक्षा में असफलता और सफलता को इस प्रकार आसानी से समझ सकते हैं कि असफलता practical है और सफलता theory है । हम जब किसी भी विषय को सीखने के लिए training लेतें हैं तो हमको उसका गहराई से ज्ञान करवाने के लिए यथासंभव Practical करवाया जाता है तब हम उस subject को और भी गहराई से समझ लेते हैं ।
क्रमशः आगे
प्रदीप छाजेड़
( बोरावड़)
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