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सज्जन पुरुष : Gentlemen

सज्जन पुरुष
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यह सच है कि हम मात्र एक मानव हैं इस विशाल संसार रूपी समन्दर में पर मत भूलो यह भी तो सच है कि तुम्हीं में समाहित किसी एक के लिए उसका संसार है क्योंकि तुम्हारे बिना उसका संसार निस्सार है।

एक आदर्श सामाजिक सर्वोत्तम गुण सेवाभावी, मनः हर्ष का जिसमें है वह सज्जन पुरुष है । आगे सज्जन पुरुष के लिये कहा है कि उसके स्पष्ट सुलझे विचार हों पर न हो जिद्दी किसी भी प्रकार से यानि वह अनेकांत का पुजारी हो और हठधर्मी से हो कोसों दूरी हो , करुणा का भाव भरपूर हो,
क्रूरता से अमाप्य दूर हो ।

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आदर्श मानव में ज्ञान तो जरूरी हैं पर अहंकार की कमजोरी कभी न हो ,छोटों के प्रति स्नेह प्यार हो,
बड़े बुजुर्गों के प्रति सेवाभाव अपार हो। जन्म और मरण के बीच की कला है जीवन जो सार्थक जीने पर निर्भर हैं।

मानव अपने जन्म के साथ ही जीवन मरण, यश अपयश, लाभ हानि,स्वास्थ्य, बीमारी , देह , रंग, परिवार , समाज, देश स्थान आदि – आदि सब पहले से ही निर्धारित कर के आता है।

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साथ ही साथ अपने विशेष गुण धर्म, स्वभाव, और संस्कार सब पूर्व से लेकर आता है। हमें अगर अपने पुरुषार्थ से अपने सत्तकर्म से जीवन गाथा लिखनी हैं तो कहते हैं सुख वैभव भावी पीढ़ी को कालक़ुट तुम स्वयं पी गये मृत्यु भला क्या तुम्हें मारती,मरकर भी तुम पुनः जी गये ।

जिस इंसान के कर्म अच्छे होते है उस के जीवन में कभी अँधेरा नहीं होता इसलिए अच्छे कर्म करते रहे वही आपका परिचय देगे। अतः हमें अपने गुणों से ऐसे व्यक्ति सज्जन पुरुष बनना है जो सबके सहर्ष आदरास्पद कहलाते हैं ।

प्रदीप छाजेड़
( बोरावड़ )

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