कहते है कि दिल में यदि प्रेम की लगी लग जाये तो सारी दुनिया जन्नत सी लगती है ! भड़क उठे यदि नफ़रत कीं आग दिल में तो आशियाने कीं सकून जला ख़ाक कर देती है और बर्बादी का तूफ़ान उठा देती हैं ।
दिल की तान , तान जैसी कोई तान नहीं हैं। इसीलिए कहते हैं दूसरों को समझना बुद्धिमानी है । खुद को समझना असली ज्ञान है।
दूसरों को काबू करना बल हैऔर खुद को काबू करना वास्तविक शक्ति है। जिसने संसार को बदलने की कोशिश की, वो हार गया और जिसने खुद को बदल लिया वो जीत गया।
दिल से प्रसन्नता पूर्वक लगन मेहनत और निष्ठा आदि से हम कोई भी कार्य करे उसको करके मन मे अति प्रसन्नता के अनुभव होता है और बेमन से मजबूरी समझ कर किया गया काम हमें प्रसन्नता नही मन का भारीपन देता है ।
खुशी नहीं तो हमें अपने कार्य को अपनी जिम्मेदारी समझकर खुशी खुशी पूरी तन्मयता से करना चाहिए क्योंकि कहा गया है कि प्रसन्न मन से किये गये कार्य से हमें आत्म सन्तुष्टि होती है ।
दिल से हमारे मुस्कान एक ऐसा वरदान है जो हर गम को भूला देती है । हम रोते हुए व्यक्ति कों भी देख लें तो उसके चेहरे पर हंसी ला देती है।
अतः हर रोग-दोष दूर हो जाएगा,जब व्यक्ति खुलकर मुस्कुराएगा, अपनी मुस्कुराहट से ही वह अपनों के चेहरे पर भी खुशियां लाएगा ।
जीवन की प्रसन्नता,माधुर्य ,आनन्द आदि पवित्र स्मृतियों से दिल को स्वर्ण पात्र से भरना हैं ।अतः इसमें जीवन के ये ही बेशकीमती क्षण मात्र रखना है ।
प्रदीप छाजेड़
( बोरावड़ )
यह भी पढ़ें :-