ADVERTISEMENT

स्वस्थ चिन्तन : Healthy Thinking

ADVERTISEMENT

संसार विविधताओं का संगम है और धर्म जीवन की शाश्वत अपेक्षा है ।जोश और होश हमेशा जीवन में रहे और दिमाग़ की खिड़कियाँ खुली रहे । पर आज की आबो हवा में डर लगता है ।

मस्तिष्क को भी जब आप नकारात्मक चिन्तन करते हैं।एक सुखद जीवन के लिए मस्तिष्क में सत्यता, होठों पर प्रसन्नता और हृदय में पवित्रता जरूरी हैं। आप अपने तन के कलपुर्जों का पूरा- पूरा ख्याल रखें और इन्हें मत डरायें ।

ADVERTISEMENT

ये सभी कलपुर्जे बाजार में उपलब्ध नहीं हैं। जो उपलब्ध हैं वे बहुत महँगे हैं और शायद आपके शरीर में एडजस्ट भी न हो सकें। इसलिए अपने शरीर के कलपुर्जों को स्वस्थ रखे।क्लींज़िंग करो और स्वस्थ रहो।

प्राकृतिक खाओ पियो-मस्त रहो। हम योजनाबद्ध तरीके से अपने दिन की शुरुआत करें, अपने इष्ट का स्मरण प्रसन्नचित होकर करें।देव ,गुरु और धर्म में हमारी आस्था को पुष्ट रखते हुए अपने आत्महित के साथ साथ दूसरों के भी हित चिंतन करते हुए अपने सभी किर्या कलाप को शुद्धभाव से करें हम सही से विवेकपूर्वक हिंसा के अल्पीकरण के द्वारा जीने का प्रयास करें।

आधुनिक जीवन की व्यस्त शैली में आनंदमय जीवन जीने का सिद्धांत भूल रहे हैं आनंद महसूस करने की अदभ्य शक्ति हमारे भीतर ही है ।जीवन का वास्तविक आनंद स्वयं को जानने से ही मिलता है ।

जिस तरह अपने शरीर को स्वस्थ और तंदुरुस्त रखने के लिए भोजन, शयन और जागरण के नियमों के साथ-साथ व्यायाम भी करना जरूरी है।उसी तरह आध्यात्मिक पथ पर बढ़ते हुए यथासंभव दूसरों की निस्वार्थ मदद करना, बदले की भावना की जगह माफ करने का गुण विकसित करना, एक सीमा तक धन अवश्य रखना परंतु फिजूल खर्च ना करना,पाप -धर्म का बोध होना, समता, करूणा,  प्रेम , विश्वास और आदर रखना तथा प्रतिकूल परिस्थिति में भी सम भाव में रहना आनंदमय जीवन के लिए जरूरी है ।

प्रदीप छाजेड़
( बोरावड़ )

यह भी पढ़ें :-

अहम का वहम : Delusion of Ego

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *